तो क्या हम ‘दो राष्ट्रपिताओं’ के देश में जी रहे हैं ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** खुद को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का प्रशंसक बताने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘फादर ऑफ इंडिया’ कहा तो शायद वे उसी ‘न्यू इंडिया’ और उसके ‘पिता’ के बारे में कह रहे थे,जिसकी व्यापक स्वीकृति का रोड-मैप पहले ही तैयार है और जिस … Read more

वक्त के बदलाव पर हस्ताक्षर करते जाना ही अमिताभ होना है…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** जब(बीसवीं)‘ सदी के महानायक’ ७७ वर्षीय अमिताभ बच्चन को देश के सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार का ऐलान हुआ तो देश की गान सरस्वती लता मंगेशकर की सहज प्रतिक्रिया थी-‘उन्हें (अमितजी) को यह पुरस्कार बहुत पहले मिल जाना चाहिए था। अर्थात इस अवाॅर्ड के लिए पाच दशकों की साधना और इंतजार जरा लंबा … Read more

उत्पीड़न में कमर से नीचे उतरी सरकार

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** चाहें तो इसे ‘सूचना का अधिकार’ अधिनियम (आरटीआई एक्ट)का ‘अंडरवियर एंगल’ कह लें। ताजा खबर यह है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और भूमाफिया के खिलाफ लड़ने वाले ‘सूचना का अधिकार’ कार्यकर्ता मास्टर विजय सिंह के खिलाफ मुजफ्फरनगर पुलिस ने ‘खुले में अंडरवियर सुखाने’ के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली … Read more

`कुदरत` से मोदी के दीर्घायु होने की दुआ और `माया` की मंशा…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ६९वें जन्मदिन पर चौतरफा बधाइयों की बौछार में एक बधाई जरा भीड़ से हटकर थी,और वह थी बहन मायावती की बधाई। उन्होंने पीएम मोदी की लंबी उम्र की दुआ ‘कुदरत’ से की,न कि ‘ईश्वर’ से। इसके लिए वो भक्त द्वारा ट्रोल(लक्ष्य करके अच्छा या बुरा साबित करना)भी … Read more

मेंढकों का तलाक भी हो गया,अब तो थमो मेघराज…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** हाय ये आसमानी आफत! मध्य प्रदेश सहित देश के पश्चिमी हिस्से में मानसून ने जिस अड़ियलपन के साथ डेरा डाल रखा है,उसने बारिश की सारी रोमांटिकता को ही बेस्वाद कर दिया है। दो माह पहले जिस कारे बदरा को रिझाने प्रदेश की राजधानी के महादेव मंदिर में मेंढकों का ब्याह हुआ … Read more

`चंद्रयान-२` की आंशिक सफलता और हमारी अवैज्ञानिक मानसिकता…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** भारत का मिशन चंद्रयान-२ कितना सफल रहा और कितना असफल,यह अभी ठीक से तय होना है,लेकिन इस पर हम किसी वैज्ञानिक और ठोस निष्कर्ष पर पहुंचें,उसके पहले ही देश में जिस तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं,उससे यही साबित हो रहा है कि, इसरो की उपलब्धि जो भी हो,हम … Read more

गडकरी का ‘नीति उपदेश’ और गोपाल भार्गव का ‘अ-नीति प्रस्ताव’…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** राजनीति और खासकर भारतीय राजनीति में नीति-उपदेश की आयु कितनी अल्प होती है,इसका उदाहरण समझना हो तो मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता गोपाल भार्गव का वह ताजा बयान देखना चाहिए,जिसमें उन्होंने राज्य की कमलनाथ सरकार को कंधा दे रहे सपा और बसपा के विधायकों को,उस सरकार को गिराने … Read more

इस असंवेदना से ‘अमृताओं’ को कोई फर्क नहीं पड़ता…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** यूँ भोंपूगिरी और काफी हद तक विवेकशून्यता के इस दौर में किसी पात्र लेखक या कवि-कवियित्री की स्मरण सभा में चंद लोग ही पहुंचें और बाकी की निगाहों में यह सवाल तैरे कि मरहूम शख्स कौन था, तो हैरानी की बात नहीं है। पंजाबी की पहली बड़ी कवियित्री और भारतीय साहित्य … Read more

भाजपा की ‘वाॅशिंग मशीन’ और चारित्रिक चमकार का निरमा पाउडर…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी को ‘राजनीतिक गंगा‘ को पहले ही मान लिया गया था,लेकिन पार्टी की ‘सफाई क्षमता’ की नई व्याख्या हाल में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री राव साहेब दानवे पाटिल ने की … Read more

हिंदी रचनाकर्म से इस ‘तलाक’ के आखिर क्या मायने ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************************************** क्या‍ हिंदी अब सृजन की,मनोभावों को अभिव्यक्त करने की और अपने समय से जूझने की भाषा नहीं रह गई है ? आज इसमें जो लिखा जा रहा है वह सब ‘हिंदू-मुसलमान, जय श्री राम और वंदे मातरम्’ पर जाकर खत्म हो रहा है ? ऐसी स्थिति में कोई संवेदनशील ‍कवि या … Read more