पाहुन फागुन

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** टेर रहे हैं पपीहे, बुला रहे हैं फागुन को। कोयल तान सुना रही, आने वाले पाहुन को। पलाश के दहकते होंठ हो गए हैं लाल, अमलताश के फूल भी दिख रहे हैं कमाल बहकी-बहकी हवा मचल रही है गान को। पग में घुंघरू बांधे नाच रहे भौंरे मनमीत। अधरों पर कुछ … Read more

सपने और आदमी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** सपने और आदमी, लगता है एक-दूसरे के बिना हैं अधूरे, ये सपने ही हैं, जो देते हैं जीवन को, अर्थ पूरे। सपनों को, पूरा करने के लिए ही, रहता है आदमी जिन्दा, सपने हैं असीम आसमान, और आदमी मात्र एक परिन्दाll परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म … Read more

बसन्त

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** खेतों में इठलाई सरसों टेसू हँसते वन में, मुस्काए हैं बौर आम के खुशी नीम के मन में। पीपल की सूनी डाली पर फूट पड़े हैं पत्ते, झूम उठी कचनार पहन कर नव कलियों के लत्ते। गुनगुन करता भँवरा फिरता कोयल गीत सुनाती, मधुमक्खी खिलते फूलों पर घूम-घूम मँडराती। पंखों … Read more

जय गणतंत्र

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… जय जय हे गणतंत्र हमारे, जय जय भारत देश! भिन्न-भिन्न भाषाएँ तेरी भिन्न धर्म के लोग, तरह-तरह की संस्कृतियों का है तुझमें संयोग। कहीं और दिखलाई पड़ता, ऐसा ना परिवेश। जय जय हे…l निर्भय है आवाज तुम्हारी निर्णय हैं निष्पक्ष, आदर्शों का रूप अनुपम तुम जग … Read more

कोहरा

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** छा गया है चारों तरफ कोहरा घना, आदमी घर में ही अब बन्दी बना। हो गई है कम बहुत लो दृश्यता, राह का कुछ भी नहीं चलता पता। कोहरे में दिन ही पूरा ढल रहा, लगता हमको सूर्य भी है छल रहा। आँधियाँ भी अब घृणा की चल रही, बात … Read more

पाॅलिथीन की थैलियाँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** पाॅलिथीन की थैलियाँ,खाकर मरती गाय। अब इन पर प्रतिबंध का,जल्दी करें उपाय॥ पाॅलिथीन की थैलियाँ,करती नाली जाम। मच्छर जिससे पनपकर,जीना करें हराम॥ पाॅलिथीन की थैलियाँ,जले तो वायु भ्रष्ट। भू के उर्वर तत्व भी,गड़कर करती नष्ट॥ * पाॅलिथीन की थैलियाँ,पैदा करती रोग। हो सब खाद्य पदार्थ में,इनका बन्द प्रयोग॥ * पाॅलिथीन … Read more

हार सिखाती है,लड़ने का जज्बा बढ़ाती है

राज कुमार चंद्रा ‘राज’ जान्जगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़) *************************************************************************** ‘हार’ एक ऐसा शब्द,जिसे कोई पसन्द नहीं करता है जिसका सीधा सम्बंध निराशा से है,पर हार का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि हार हमारी उन कमियों को उजागर करती है जिससे हम अछूते रहते हैं। हार सही मायने में अनुभव का सागर है,स्वयं के बारे में सोचने … Read more

नववर्ष अभिनन्दन

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** नूतन वर्ष का है आगमन, ओस की बूंदों ने किया आचमन। नव पल्लव कर रहे अभ्यर्थन, सुरभित पुष्पों ने किया अभिनन्दन। पुरवाई पवन कर रही चरण वन्दन, लहलहाती धरा लगा रही माथे चन्दन। झूम रहे हैं बाग-बगीचे कानन, नव वर्ष के आने से हर्षित है तन-मन। चहुँओर खुशियां बांट रहे हैं … Read more

अभिनंदन नव वर्ष का

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** नए वर्ष की प्रथम किरण का अभिनन्दन है, जिसको पाकर धरा धन्य कण-कण चन्दन है। पूर्व दिशा से ढुलक पड़ा है ज्योतिर्मय घट, छुपी हुई है इसमें ही नव युग की आहट। अँधियारा जो शेष रहा यह फिर छाँटेगा, उजलेपन की सौगातें सबको बाँटेगा। भर जाएगा नव ऊर्जा से हर … Read more

सहारा

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** इष्ट कृपा सबको मिले,मन में रख विश्वास। जीवन में श्री नाथ ही,बनें सहारा खासll मात-पिता ही जन्म दे,पकड़े हाथ चलाय। बने सहारा पुत्र का,सारे फर्ज निभायll हर संकट में मात-पितु,अपने हाथ बढ़ाय। बने सहारा पुत्र का,जीवन सफल बनायll बनो सहारा देश का,अपनाओ तुम फर्ज। मातृभूमि का है चढ़ा,तुझ पर कोई कर्जll … Read more