नया पकवान

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी  उदयपुर (राजस्थान)  *********************************************************************** एक महान राजा के राज्य में एक भिखारीनुमा आदमी सड़क पर मरा पाया गया। बात राजा तक पहुंची तो उसने इस घटना को बहुत गम्भीर मानते हुए पूरी जांच कराए जाने का हुक्म दिया।सबसे बड़े मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई,जिसने गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश … Read more

सब्जी मेकर

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी  उदयपुर (राजस्थान)  ************************************************************************** इस दीपावली वह पहली बार अकेली खाना बना रही थी। सब्ज़ी बिगड़ जाने के डर से मध्यम आँच पर कड़ाही में रखे तेल की गर्माहट के साथ उसके हृदय की गति भी बढ़ रही थी। उसी समय मिक्सर-ग्राइंडर जैसी आवाज़ निकालते हुए मिनी स्कूटर पर सवार उसके छोटे भाई … Read more

आइए जलते हैं

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी  उदयपुर (राजस्थान)  ************************************************************************** आइए जलते हैं, दीपक की तरह। आइए जलते हैं, अगरबत्ती-धूप की तरह। आइए जलते हैं, धूप में तपती धरती की तरह। आइए जलते हैं, सूरज सरीखे तारों की तरह। आइए जलते हैं, अपने ही अग्नाशय की तरह। आइए जलते हैं, रोटियों की तरह और चूल्हे की तरह। आइए जलते … Read more

दंगे की जड़

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी  उदयपुर (राजस्थान)  ************************************************************************** आखिर उस आतंकवादी को पकड़ ही लिया गया,जिसने दूसरे धर्म का होकर भी रावण दहन के दिन रावण को आग लगा दी थी। उस कृत्य के कुछ ही घंटों बाद पूरे शहर में दंगे भड़क उठे थे। आतंकवादी के पकड़ा जाने का पता चलते ही पुलिस स्टेशन में कुछ … Read more

रावण का चेहरा

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी  उदयपुर (राजस्थान)  ************************************************************************** हर साल की तरह इस साल भी वह रावण का पुतला बना रहा था। विशेष रंगों का प्रयोग कर उसने उस पुतले के चेहरे को जीवंत जैसा कर दिया था। लगभग पूरा बन चुके पुतले को निहारते हुए उसके चेहरे पर हल्की-सी दर्द भरी मुस्कान आ गयी और उसने … Read more

परिंदों को मिलेगी मंज़िल यक़ीनन

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी  उदयपुर (राजस्थान)  ************************************************************************** वैसे तो हर विधा को समय के साथ संवर्धन की आवश्यकता होती है, लेकिन लघुकथा एक ऐसी क्षमतावान विधा बन कर उभर सकती है जो स्वयं ही समाज की आवश्यकता बन जाये,इसलिए इसका विकास एक अतिरिक्त एकाग्रता मांगता है। हालांकि,इस हेतु न केवल नए प्रयोग करना बल्कि इसकी बुनियादी … Read more

पत्ता परिवर्तन

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी  उदयपुर (राजस्थान)  ************************************************************************** वह ताश की एक गड्डी हाथ में लिए घर के अंदर चुपचाप बैठा था कि बाहर दरवाज़े पर दस्तक हुई। उसने दरवाज़ा खोला तो देखा कि बाहर कुर्ता-पजामाधारी ताश का एक जाना-पहचाना पत्ता फड़फड़ा रहा था। उस ताश के पत्ते के पीछे बहुत सारे इंसान तख्ते लिए खड़े थे। … Read more