मेरी संवेदनाएं

असित वरण दासबिलासपुर(छत्तीसगढ़)*********************************************** मेरी संवेदनाएं गहरी झील में तैरतेउस कमल की तरह विकसित नहीं हो पाती,जिसने देखा हो रातभरखामोश कुहरों का जुल्म,और देखा हैओस की बूंदों का सामूहिक जन्म।फिर भी,रात…

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कितना अच्छा होता…

असित वरण दासबिलासपुर(छत्तीसगढ़)*********************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. कितना अच्छा होता…प्रकाश और अंधकार की तरह,एक-दूजे को जाने बिनाएक-दूजे के पास-पास होना। हर मौसम के हैं अलग रंग,हर बादल का है…

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अच्छा लगता है…

सविता सिंह दास सवितेजपुर(असम) ************************************************************************ सावन में थोड़ीबावरी बनना,अच्छा लगता हैपिस-पिस जाती,फिर आस मन कीतेरे उखड़े-उखड़ेस्वभाव से पिया।यूँ पिसकर भी,मेहंदी सम महकनाअच्छा लगता है।मन की सतहरेगिस्तान बनी,जेठ-आषाढ़ मेंतपती रह गईइच्छाएँ सारी।फिर…

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लांछन सह ना सकूँगा माई

सविता सिंह दास सवितेजपुर(असम) ************************************************************************ कामकाज बन्द,हो गया माईसुना है अब बहुत,दिनों तक सब बन्द रहेगादेश में ताला लगेगाlदिहाड़ी मेरी,गुजर-बसर माईअपने पेट पर,खींच कर गमछाबांध लूंगाlदो घूंट पानी से,भूख-प्यास सबमिटा लूंगा…

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सशक्त जो होती है स्त्री

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* तोड़ देती है, क्षमताओं की सारी सीमाएँ, अपने पर जब आती है, वक्ष में जीवन कंधों पर ज़िम्मेदारी, फिर स्त्री,स्त्री नहीं `वसुधा` बन जाती है।…

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मन का कवि शांत-सा

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* पता है, इन दिनों कुछ लिख नहीं पा रहीl रूठ गए हैं शायद, ये फूल,पौधे पहाड़,नदियाँ, धरा,अम्बर सबl कोई संवाद, नहीं कर रहा सब मौन…

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गुलाब ले लो

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* सिग्नल की हर गाड़ी की खिड़की पर देती है वो दस्तक, शोर चाहे कितना भी हो ट्रैफिक का सबके कानों में चुभती, उसकी वो टक-टकl…

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स्वीकारो या उपेक्षित करो

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* ये जो संकोच पलता है ना मन में तुम्हारे, मेरे अस्तित्व को स्वीकारने या नकारने के लिए, इसे तुम थोड़ा-सी ढील दो... देखो मैं कोई…

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सरकारी भिखारी

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** भिखारी कहूं कि लुटेरा या घूसखोर, जादूगर कहूं कि खेलवाला या चोर। सरकारी काम का भी अजीब ढंग से लेता है पैसा, एक…

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नया रास्ता

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* पढ़ाई पूरी हो चुकी थी,राहुल अब दिन-रात नौकरी की तलाश में भटक रहा था,पर इस प्रतिस्पर्धा के जमाने में कुछ भी हासिल करना आसान नहीं…

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