काल के महा महेश

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** आदि में अनंत में…दिग औ दिगन्त में,नाद में निनाद में…सृष्टि के आल्हाद में।ओंकार में निरंकार में…शक्ति में साकार में,योग में वियोग में…जोग में संजोग में।प्रलयंकारी आशुतोष हैं…काल के महा महेश हैं,नित्य कर्म योगी हैं…शिवानी भक्त जोगी हैं…।प्रथमेश के पिता…जगतजननी के सौभाग्य हैं।शिव की महा रात आई…,महा-महा सौभाग्य है..॥ परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर … Read more

मेरा एकांत

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** मुझे मिला सदा…भरा-पूरा एकाकीपन,भीड़ से अलग…सबसे जुदाअजनबीपन…।रोना चाहूं भी तो…मुझे काँधा मेरा तक,नहीं मिलता…वहाँ पहले से ही,कोई खोजता है…अपने लिए अपनापन…।किसी की हथेली में,चाँद दे दिया…किसी ने आसमान से,मेरा चाँद ही चुरा लिया…फ़क़त एक सितारे की,चाह में दौड़ती रही मैं…अनमनी-सी आदतन।नशे में है पूरी दुनिया…मोहब्बत के,मैं बटोर रही मोहब्बत में…मिला खालीपन।नूर बनकर दूसरों … Read more

स्मृतियों का दस्तावेज भला कहाँ बदलता…

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** २०२० चला गया कुछ बहुत नए कड़वे,कुछ बहुत मीठे अनुभव,सीख,दुःख और अलग पहचान देकर…।यूँ तो हर पल बदलता है एक दिन बनने के लिए… एक दिन पुनःधीरे-धीरे एक साल बन जाता है। कैलेण्डर की तारीखें बदल कर वर्ष को सिर्फ बदल भर देती है…हमारे मन के खूंटे में टँगी स्मृतियों का दस्तावेज भला … Read more

हर आँगन खिले

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. उगलता रहा…विष…दो हजार बीस…।फीकी रही…होली…फीकी पड़ी बोली…।सूनी रही..कलाई…बिन कांधे…उठी अर्थी…।मलाल और…मायूसी का…बहुत घना…अंधेरा आया…।माता के दरबार…से भी नहीं आया…कोई बुलावा…प्रकृति मुस्कुराई…।लोग हँसना भूले…अमावस की रात…फिर से आ रही है…।लाखों विश्वास के…दीए फिर से राह…देख रही है…माता रानी…।कृपा करना…हर दीए की…लौ में आप…स्वयं समाहित…रहना…।दुनिया में…अब कोई…दहशत न रहे…रँगोली के रँग … Read more

यादें

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** प्रेम से पगे पत्र,जिसमें गुलाबों की…खुशबू होती थी,आज भी जेहन में…वो पत्र और उसकी,खुशबू बरकरार होती है…lफूल मुरझा चुकेहोते हैं…इबारत दिख नहींरही होती है…फिर भी अहसास से,लबरेज उसकीयादें होती हैं…lमन के किसी,कोने में दफन…पलों की पाकीज़गी का,जिक्र करती धड़कनों…का हिसाब होती है…lये यो जागीर होती है,जो सबकी…सबसे प्यारी,सम्पति होती है…lकोई साझेदारी नहीं,नहीं कोई … Read more

माँ

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** अमूर्त अनगढ़ को,करती साकार…देती नया रूप,जन्म देकर…‘माँ। नया जन्म भी,लेती है खुद…बत्तीस बन्धन,तोड़ कर अपने…शरीर से अलग करके,शिशु से अपने…जुडी रहती है,माँ। आँसू के एक,कतरे के लिए…अपने बच्चे की खातिर,जान सुखा लेती है…भले बदले में,जान चली जाए…परवाह नहीं करती है,माँ। वो शून्य को,भर देती है…रिक्त हो कर भी,सबको सींचतीरहती है…तभी तो शीश नवाते,ईश्वर … Read more

क्यों यह दहशतगर्जी का खेल…?

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… शायद मैं थोड़ा उद्विग्न हूँ…,कह सकते हो कि मैं कृतघ्न हूँ।सिर्फ आह भरकर रह जाती हूँ…,सिर्फ आँख नम कर लेती हूँ।जब कायराना हरकत होती है…,मन ही मन दुःखी होती हूँ।दर्द का अंदाजा कैसे लगाएं…,जब हम खुद नींद भर सोएं।उजड़ी मांगों की दर्दीली कहानी…,तड़पती माँ के सीने की रवानी।बिलखते … Read more

मन की बात

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** सिर्फ जल ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,स्वेद,अश्रु भी मिले होते हैं उसके उस जल में…। सिर्फ सपुष्प ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,शुद्ध भाव भी समर्पित होते हैं उस पुष्प में…। सिर्फ दीप ही नहीं जलाती स्त्री प्रभु की भक्ति में…,अपना विश्वास आस्था भी समर्पित करती है…। सिर्फ … Read more

गोद भराई

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* विनीता के विवाह को पूरे ११ साल हो चुके थे,परंतु माँ बनने का सुख उसको मिला ही नहीं। उसके दोनों देवरों की शादी उसके सामने हुई…सालभर में दोनों की गोद में एक-एक बच्चा भगवान ने उनको दे दिया..! रोज ही तकिया गीला करते उसकी रात कटती…!हालांकि,पति कुछ कहते नहीं ही थे…पर,जब शाम को … Read more

व्योम की विशालता…पिता

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* व्योम की विशालता…सागर की गहनता…प्रकृति की गंभीरता…,लिए होते हैं पिता…। मिजाज में प्रखरता…चरित्र में प्रबलता…मन में अथाह धीरता…,लिए होते हैं पिता…। दूर करके सबकी चिंता…सदा झेलते रहते दुश्चिंताकर्म करने की प्रधानता…,लिए होते हैं पिता…। माँ का सिंदूरहमारा गुरुरलाखों में नहीं,करोड़ों में हुजूर…,एक होते हैं पिता…॥ परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर १९६७ को कोलकाता … Read more