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स्मृतियों का दस्तावेज भला कहाँ बदलता…

देवश्री गोयल
जगदलपुर-बस्तर(छग)
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२०२० चला गया कुछ बहुत नए कड़वे,कुछ बहुत मीठे अनुभव,सीख,दुःख और अलग पहचान देकर…।
यूँ तो हर पल बदलता है एक दिन बनने के लिए… एक दिन पुनःधीरे-धीरे एक साल बन जाता है। कैलेण्डर की तारीखें बदल कर वर्ष को सिर्फ बदल भर देती है…हमारे मन के खूंटे में टँगी स्मृतियों का दस्तावेज भला कहाँ बदलता है ?? वो दफ़न हो जाता है…एक और नया पन्ना लेकर एक नए साल के रूप में…।
महामारी के बारे में हमने बहुत कुछ पढ़-सुन भी रखा था,कुछ देखा भी था। सुना था कि यह बहुत भयावह होता है…पर उसकी भयावहता का प्रत्यक्ष रूप जब हमारे सामने ‘कोरोना’ के रुप में आया,तब पता चला कि वाकई प्रकृति कितनी क्रूर भी हो सकती है…। कितने घरों के इतिहास,भूगोल सब बदल गए…पिता की अर्थी को बेटा काँधा न दे सका तो..कहीं बीमार तड़पते बच्चे को छूने तक की मनाही…। उधर,कर्त्तव्यशीलता के अनुपम उदाहरण भी मिले…,तो कहीं मानव में छुपे दानव भी नजर आए…! ऐसा समय आया कि पॉजिटिव (सकारात्मक) खराब हो गया और नकारात्मक (निगेटिव) अच्छा हो गया। समय ही दिखाता है और समय ही सिखाता भी है…,पर इस बार उसने बहुत कड़ाई से सिखाया…। इस समय ने सिखाया घर में ही रहना, ‘सामाजिक दूरी’ बनाना,कम खर्च करना,साफ-सफाई का महत्व,पर्यावरण के प्रति जागरूकता और न जाने क्या-क्या ?
बहुत ही कड़वे और कुछ मीठे अनुभव का ये साल सबको ताउम्र याद रहेगा…। जो हो,पल-पल पल में बदल जाता है…,बस कुछ ही पलों में साल भी चला गया…।
आगत का स्वागत तो होता ही है…विदाई ही दुःखदाई होती है…! पर शायद इस साल की विदाई का सबको इंतजार रहा…नियम भी है कि जो आया है,वो जाएगा ही…तो नियमतः साल बीत गया…। आने वाला नव वर्ष हर किसी के जीवन में नवीन आनंद,ऊर्जा,स्नेह सौहार्द्र का संचार करे…,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ अंग्रेजी नए साल का आनंद लीजिए,पर स्वस्थ रहिए-मस्त रहिए।

परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर १९६७ को कोलकाता (पश्चिम बंगाल)में जन्मी हैं। वर्तमान में जगदलपुर सनसिटी( बस्तर जिला छतीसगढ़)में निवासरत हैं। हिंदी सहित बंगला भाषा भी जानने वाली श्रीमती देवश्री गोयल की शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी, अंग्रेजी,समाजशास्त्र व लोक प्रशासन)है। आप कार्य क्षेत्र में प्रधान अध्यापक होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अपने कार्यक्षेत्र में ही समाज उत्थान के लिए प्रेरणा देती हैं। लेखन विधा-गद्य,कविता,लेख,हायकू व आलेख है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है,क्योंकि यह भाषा व्यक्तित्व और भावना को व्यक्त करने का उत्तम माध्यम है। आपकी रचनाएँ दैनिक समाचार पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैं,जबकि प्रेरणा पुंज-परिवार और मित्र हैं। देवश्री गोयल की विशेषज्ञता-विचार लिखने में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा हमारी आत्मा की भाषा है,और देश के लिए मेरी आत्मा हमेशा जागृत रखूंगी।”

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