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आजादी के मतवाले ‘आजाद’

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष………..


आजाद हवा में महक है
आजादी के मतवाले की,
दास्तां हम सुनाते हैं
आजाद,हिन्द निराले की।

मादरे वतन की खातिर
जिसने छोड़ा जननी को
मातृभूमि पर मरने वाले,
उस लाल के बलिदानों की।

गरीब पिता का लाल
जन्मा था अभावों में,
न था मंजूर घुट-घुट कर जीना,
उठी लालसा कुछ कर दिखाने की।

वीर,निडर,साहसी,अदभुत
रग-रग में भरी ज्वाला थी,
तनकर खड़ा सामने गोरों के,
१४ वर्ष के वीर तिवारी की।

आजाद,हूँ,आजाद रहूँगा
मुझे कैद करे जिसने माँ का दूध पिया है,
माँ आजाद,पिता आजाद
आजाद मेरा धर्म,कहने वाली
मस्तानी जोड़ी भगत आजाद की।

हर कौड़े पर जिसने लिखा
इंकलाब का नारा था,
तीन आने की भीख को
गोरों के मुख पर दे मारा था।

क्रांति की ज्वाला कहाँ बुझती है
इन हवा के झोंकों से,
और धधक उठी ज्वाला
आजादी के मतवालों की।

कर रहे आंदोलन किसानों को
गोरों ने सूली चढ़ा दिया,
‘आजाद’ हिन्द के परवाने ने,
उस चौकी को ही जला दिया।

लूट खजाना गौरों का
नाक में नकेल डाली उन मक्कारों की,
कैद में भगत सिंह
ये वीर पड़ गया अकेला था,
बना रहे योजना वीर भगत को छुड़ाने की।

बेचैन हो गए,अपने साथियों की फाँसी से
हो द्रवित ‘लालाजी’ की मौत हुई जो लाठी से,
खाकर एक वक्त की रोटी,
देश भक्ति की कसम न तोड़ी थी।

सर पर कफ़न,मुख पर थी मुस्कान मौत की
घेर लिया जालिम ने देख अकेला अल्फर्ड बाग में,
लड़ गया वीर जब तक गोली एक भी बाकी थी
खुद आजाद हो गया,जो उसने मन में ठानी थी।

आजादी के रंग में रंग दी
जिसने भारत की हर जवानी थी।
अनमोल है जिसकी कुर्बानी
हर जबान पर है गाथा ऐसे वीर आजाद की॥

परिचय–गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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