बन जा खुद की मीत
नताशा गिरी ‘शिखा’ मुंबई(महाराष्ट्र)******************************************************** आशिकी-आवारगी की बहुत हो गई गुफ़्तगू,खुद से तू उतनी ही,कभी मोहब्बत ही कर ले। डाल मिट्टी उन तमाम संजीदगियों पर,खोल मुट्ठी अनकही दबी ख्वाहिशों की। क्यों देख रही है,हो किसी की रहमत,बस तू हो जा ख़ुद से अब सहमत है। कब तक रहेगी तुझमें बुलबुल की नजाकत,बारिशों के डर से तू कब … Read more