‘आप अनपढ़ हो…?’

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आज तक मैंने जिस कार्यालय में भी काम किया है,वहाँ यह कोशिश की कि लोग अंग्रेजी का मोह त्याग सकें और हिंदी को प्रोत्साहन मिले। एक कार्यालय में जनसंपर्क बहुत ज्यादा होता था। आजकल लोगों को अंग्रेजी बोलने का कुछ ज्यादा ही शौक चर्राया हुआ है। जो आता…चटर-पटर अंग्रेजी में बोलता। मैं … Read more

मानव होने का मान रखो

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** भारत में रहते हो,उसका सम्मान तुम्हें करना होगा,संविधान का पालन सबको इक समान करना होगा। मानवता धर्म हमारा है,मानव होने का मान रखो,ईश्वर अल्लाह ईसा मसीह का थोड़ा तो सम्मान रखो। मजहब हों चाहे अलग- अलग,पर हम सब हिन्दुस्तानी हैं।सीमा पर जिनका रूधिर बहा,वो रुधिर भी हिन्दुस्तानी है। हम शान्ति दूत हैं,लेकिन … Read more

समझ नहीं आता… सोच को क्या हो गया!

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** एक तरफ हम कहते हैं कि लड़कियों को पढ़ाओ,और पढ़ाना भी चाहिए क्योंकि एक लड़की को पढ़ाने का मतलब है,पूरे परिवार को पढ़ाना, मगर जो हालात बने हुए हैं,वो देखते हुए हर माँ-बाप बुरी तरह से डर के साए में जीता है। जब तक बिटिया घर न आ जाए,दिल अनगिनत आशंकाओं से … Read more

‘मैं तो राम बनूँगा…’

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** यादों का झरोखा….. कितना प्यारा लगता है ना अपना बचपन याद करना। वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी…धागे से बाँधकर कागज़ की नाव को तैराना…पहलदूज खेलना,रस्सी कूदना, गिट्टे और स्टापू खेलना,छुपम-छुपाई,लंगड़ी टांग…।जिस दिन इकन्नी मिल जाती थी,उस दिन तो हम अपने-आपको शहंशाह समझते थे। उस इकन्नी में एक सप्ताह तक … Read more

गौरव का परचम,जग में फहराना होगा

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** चहुँओर से सीमा पर आतंकी गतिविधियाँ जारी हैं,शत्रु से लोहा लेने की अपनी पूरी तैयारी है।एक निवेदन है बहनों-माताओं से-कवियों से,थोड़े दिन के लिए दूर हों,श्रृंगारी रतियों से। आज जरूरत आन पड़ी है ‘राष्ट्र’ का नवनिर्माण करो,मानव हो… मानव होने का फर्ज निभा, कुछ काम करो।चीनी माल का बहिष्कार कर देश में … Read more

लाख लगे हों ताले

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** लाख लगे हों ताले,यादें आ ही जाती हैं,बंद झरोखों से भी यादें अंदर आती हैं। अंदर आती हैं,ये यादें बड़ा रुलाती हैं,किन्तु एक उम्मीद की किरण साथ में लाती हैं। जहाँ सूर्य भी झाँक न पाए,वहाँ पहुँच जातीं,कभी हँसाकर कभी रुलाकर,हिम्मत दे जातीं। कानों में फुसफुसाकर आशा से झोली भर जातीं,समस्याओं से … Read more

देवी जी खुश हैं

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… बड़ी मजेदार बात हुई। पत्नी नाराज थी। रोज ही सब्जी पर या अन्य किसी ना किसी बात पर चक-चक होती थी। महाराज जी खुद अपने सिंहासन पर विराजमान रहते थे और छोटी-छोटी कमी ढूँढ कर मीन-मेख निकालते थे। पत्नी अपनी मर्जी से मनचाही सब्जी भी नहीं बना सकती। क्या … Read more

माँ…इतना धैर्य कहाँ से लाई…

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** मातृ दिवस विशेष…. इतने काम किस तरह करती,माँ अब तक मैं समझ न पाई। चेहरे पर कभी शिकन ना देखी,हरदम बस ममता ही देखी।इतनी ममता लाई कहाँ से ?इतना धीरज लाई कहाँ से ? एक टाँग पर फिरकी जैसी,सुबह-सुबह तू घूम रही है।कभी नाश्ता-कभी चाय,कपड़े धोने को भिगो रही है। कभी लगे … Read more

बस,कर्मों का लेखा-जोखा साथ जाएगा

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आज विश्व में एक महामारी आई है,सारी दुनिया उसे देखकर घबराई है।नहीं सिलेंडर ऑक्सीजन का,और हुए गायब इंजेक्शन,जबकि सब देशों ने उसके लिए,की थी त्वरित एक्शन। ऐसे में भी कुछ लोगों ने इसमें भी धंधे का सोचा,स्टाॅक जमा कर लिया और फिर मुँहमाँगे दामों पर बेचा।उनकी इस हरकत के कारण कैसा हाहाकार … Read more

प्रतीक्षा

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आज देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर से उतर गई है,कोरोना के कहर से यह,सम्पूर्ण विश्व में पसर गई है। किन्तु इसी महामारी ने दुनिया को इक संदेश दिया है,भारत की संस्कृति का लोहा,सारे जग ने मान लिया है। उच्च हमारे जीवन मूल्य,उच्च हमारी परिपाटी थी,धरा-गगन-जल-वायु-वृक्ष को,देव मान…पूजन करती थी। हमें लौटना होगा … Read more