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बस,कर्मों का लेखा-जोखा साथ जाएगा

राधा गोयल
नई दिल्ली
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आज विश्व में एक महामारी आई है,
सारी दुनिया उसे देखकर घबराई है।
नहीं सिलेंडर ऑक्सीजन का,और हुए गायब इंजेक्शन,
जबकि सब देशों ने उसके लिए,की थी त्वरित एक्शन।

ऐसे में भी कुछ लोगों ने इसमें भी धंधे का सोचा,
स्टाॅक जमा कर लिया और फिर मुँहमाँगे दामों पर बेचा।
उनकी इस हरकत के कारण कैसा हाहाकार मचा है,
कितने मौत की नींद सो गए,क्या निर्मम व्यापार रचा है।

ऐ मौत के सौदागर किस मुँह से खुद को मानव कहते हो ?
ऐसे मुश्किल वक्त में भी कालाबाजारी करते हो ?
लाशों का अम्बार लगा,पर तुझको फर्क नहीं पड़ता,
लोगों का रोदन भी शायद तेरे कानों में नहीं पड़ता ?

माना कालाबाजारी करके,तू दौलत खूब कमाएगा,
मरने के बाद क्या इस दौलत को,संग में ले जा पाएगा ?
ये तुझको भी मालूम है,सब-कुछ यहीं पड़ा रह जाएगा,
बस तेरे कर्मों का लेखा-जोखा साथ में तेरे जाएगा।

अभी समय है जाग जरा,थोड़ा-सा नेक काम कर ले,
आज परीक्षा मानवता की,मानुष जन्म सफल कर ले।
ऑक्सीजन-इंजेक्शन-दवाईयों का भण्डार भरा है जो,
बाँट जरूरतमंदों में,सबका ही जीवन सुखमय हो॥

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