मेरा जुनून
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** बैंक के मुख्य द्वार पर सूचनापट्ट लगा हुआ था,जिस पर लिखा था-'यहाँ हिंदी में लिखे हुए चैक भी स्वीकार किए जाते हैं।'देखकर दिल बुरी तरह आहत हुआ।…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** बैंक के मुख्य द्वार पर सूचनापट्ट लगा हुआ था,जिस पर लिखा था-'यहाँ हिंदी में लिखे हुए चैक भी स्वीकार किए जाते हैं।'देखकर दिल बुरी तरह आहत हुआ।…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… मेरे पति होली खेलने के बेहद शौकीन हैं। जब जवान थे तो बड़े सवेरे-सवेरे शोर मचना शुरू हो जाता था 'पानी…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** बहुत तरक्की कर ली तुमने,कई देशों को जीत लिया,औद्योगिक क्रांति के कारण जग में बहुत विकास हुआ।एक सूक्ष्म से परजीवी से सबका जीना हुआ मुहाल,आज बैठ वो…
देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** आदि में अनंत में…दिग औ दिगन्त में,नाद में निनाद में…सृष्टि के आल्हाद में।ओंकार में निरंकार में…शक्ति में साकार में,योग में वियोग में…जोग में संजोग में।प्रलयंकारी आशुतोष हैं…काल के…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** अंग्रेजी के दत्तक पुत्रों,आज रो रही भारती,कोख से जिसकी जन्म लिया,वह माता आज पुकारती।आज रसातल को जाता है मेरा भारत देश,मेरे बच्चों! भूल गए तुम,क्यों अपना परिवेश…
देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** मुझे मिला सदा…भरा-पूरा एकाकीपन,भीड़ से अलग…सबसे जुदाअजनबीपन…।रोना चाहूं भी तो…मुझे काँधा मेरा तक,नहीं मिलता…वहाँ पहले से ही,कोई खोजता है…अपने लिए अपनापन…।किसी की हथेली में,चाँद दे दिया…किसी ने आसमान…
राधा गोयलनई दिल्ली ****************************************** मेरा ये अरमान,विश्व में हिन्दी का परचम फहराए,अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बनकर,ये भारत का मान बढ़ाए।सब भाषाएँ सम्मानित हैं,लेकिन इतना ध्यान रहे,अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति,इक गर्व भरा अभिमान…
देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** २०२० चला गया कुछ बहुत नए कड़वे,कुछ बहुत मीठे अनुभव,सीख,दुःख और अलग पहचान देकर…।यूँ तो हर पल बदलता है एक दिन बनने के लिए… एक दिन पुनःधीरे-धीरे एक…
देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** प्रेम से पगे पत्र,जिसमें गुलाबों की…खुशबू होती थी,आज भी जेहन में…वो पत्र और उसकी,खुशबू बरकरार होती है…lफूल मुरझा चुकेहोते हैं…इबारत दिख नहींरही होती है…फिर भी अहसास से,लबरेज उसकीयादें…
देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** तप किए लाखों बरस,जप किए करोड़ों बरस…तब जाकर 'शिवानी' बनी,बेलपर्ण खाकर…हिम में नहाकर,अग्नि में जलकर…रीतियों को तोड़ कर,ऋतुओं को छोड़ कर…जगत जननी बनी…।मेरी देह के टुकड़े,पूरी भारत भूमि…