भारत प्यारा

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** देश हमारा प्यारा है,सबका बहुत दुलारा है।तभी अनेकता में एकता,हम सबका नारा है। बहु भाषाएँ होकर भी,कश्मीर से कन्याकुमारी तकभारत देश हमारा है,जो प्राणों से भी प्यारा हैजहाँ जन्मे राम कृष्ण और,उन पर लिखने वाले संततभी तो यह पावन भूमि,हम सबको बहुत भाती है।तभी तो हमें भारत देश,प्राणों से भी प्यारा है। … Read more

प्यार में कुछ तो बात है

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** प्यार को प्यार सेजीतो कोई बात होगीदिल को दिल से मिलाओ,तो कोई बात होगी।दोस्ती करना है तो,दुश्मन से करके देखोखत अगर लिखा है तो,दुश्मनों के पते पर भेजो॥ जिंदगी तेरी एकाएक,एक बदल जाएगीबंद किस्मत भी तेरी,एक दिन खुल जाएगी।मन के बुझे दीपक भी,तेरे सब जल जाएंगेबस दिलकी आवाज़ को,दिल से सुनकर देखो॥ … Read more

खुद को जीत जाना ही आत्मसंयम

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)*************************************************** ‘आत्मसंयम’ का सहज और सरल अर्थ है अपने-आप पर,मन पर नियंत्रण। इसका शाब्दिक अर्थ जितना सरल प्रतीत होता है, वास्तविक जीवन में इसको प्रयोग में लाना और आत्मसात करना उतना ही कठिन है। इसकी महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को गीता में इसके बारे … Read more

राही…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान)****************************************** राही,तुम पथ परसदैव हीबढ़ते रहना।थककर,कहीं पर रूकन जाना,आँधी हो यातूफान,टकरा जाना।घबराकर,कभी विचलितमत होना,तुम्हारी मंजिलपास होया बहुत दूर,थम नजाना तुम।हो कर के यों,मजबूरमन में विश्वास की,ज्योत कोजलाए रखना।एक दिन,मंजिल मिलेगीज़रूर…॥ परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर … Read more

शहर आ गया…

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** मैं यहां से वहां,वहां से जहां मेंचार पैसे कमाने,जहाँ में भटकता रहा। छोड़कर माँ-बाप और,भाई-बहिन,पत्नी कोचार पैसे कमाने,शहर आ गया। छोड़कर गाँव की,आधी रोटी कोपूरी के चक्कर में,शहर आ गया। अब न यहाँ का रहा,न वहाँ का रहासारे संस्कारों को,अब भूल-सा गया।। गाँव की आज़ादी को,मैं समझ न सकादेखकर शहर की,चकाचौंध को। … Read more

होली की यादें

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) विशेष… होली को त्यौहार मनाने का हर प्रदेश-शहर और गाँव का अपना तरीका है। आज अपने शहर की होली याद कर रहा हूँ।मध्यप्रदेश के बीना शहर में होली का त्यौहार मनाने का अपना ही तरीका है। यहाँ पर वैसे तो पांचों दिन होली खेली जाती है,परंतु रंग पंचमी … Read more

सामाजिक समरसता का पर्याय होली

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* फागुन संग-जीवन रंग (होली) विशेष… होली सामाजिक समरसता का त्यौहार है। इसमें कोई किसी से भेदभाव नहीं करता। रंगों के इस त्यौहार में अमीर-गरीब एक जगह इकठ्ठे होकर रंग-गुलाल खेलते हैं, पर समय के साथ इसमें बहुत परिवर्तन हो गया है। पर्यावरण के बचाव के कारण लकड़ियों का जलाना कम होता जा रहा … Read more

पावन होली…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान)****************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) विशेष… रंगों का पर्व~त्यौहारों का देशछाया है हर्ष। पावन होली~खुशियों से भर देसबकी झोली। एक हो देश~होली भाई चारे कादेती सन्देश। पी कर भंग~कहीं हो नहीं जाएरंग में भंग। उड़ी गुलाल~कायम रहे शांतिन हो धमाल॥ परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि … Read more

होली का रंग

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… तुम्हें कैसे रंग लगाएं,और कैसे होली मनाएं ?दिल कहता है होली,एक-दूजे के दिलों में खेलोक्योंकि बाहर का रंग तो,पानी से धुल जाता हैपर दिल का रंग दिल पर,सदा के लिए चढ़ जाता है। प्रेम-मोहब्बत से भरा,ये रंगों का त्यौहार हैजिसमें राधा कृष्ण का,स्नेह-प्यार बेशुमार है।जिन्होंने स्नेह … Read more

इंसान हो ?

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** देते हैं हम संदेश सबको,सदा ही सत्य अहिंसा का।पर खुद कितना इस पर,हम लोग अमल करते हैं।साथ ही कितने स्वार्थी हैं,हम इस कलयुग में।जो अपनी ही बातें,कहते रहते हैं इस युग में।और कहते है खुद जियो,औरों को भी जीने दो।पर कितना फर्क है इसको,अपने जीवन में अपनाना।और गर्व से हम कहते हैं … Read more