कस नकेल अरि आन्तरिक
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अरि अवसर की ताक में,यायावर चहुँओर। है भुजंग खल देश के,डँसते बनकर चोरll हालाहल विषकुंभ बन,बने मान जयचंद। वतन विरोधी दे बयां,आतंकी अभिनंदll कुलांगार घूमें वतन,बन द्रोही निर्लज्ज। बुला रहे दुश्मन यहाँ,साजिशें रच सज़्जll दे पनाह नापाक को,कर सत्ता सुखभोग। अरबों को हैं लूटते,राष्ट्र प्रगति बन रोगll छोटे … Read more