प्रार्थना इतनी है प्रभु

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** प्रार्थना,कर जोड़,इतनी है प्रभु,जीवन दिया जिस काम,मैं वो कर सकूँ। संलिप्त ना इतना रहूँ,निर्लिप्त ना इतना रहूँ,छलकूँ,ना हो अतिरेक इतना,रिक्त ना इतना रहूँ।जितना किया तूने नियत,वो कर सकूँ,प्रार्थना,कर जोड़, इतनी है प्रभु…॥ संचित करूँ ना मैं कभी,यदि एक भी वंचित रहे,परमार्थ का हेतु बनूँ,पर,स्वार्थ ना किंचित रहे।तूने दिया,वितरित मैं … Read more

जनमत समझो मंत्र

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************ जनता से सत्ता बनी,जनता से गणतन्त्र।जनता दे सत्तावनत,जनमत समझो मंत्र॥ करो प्रगति जनता सदा,चिन्तन जन कल्याण।निर्भय सम्बल जब प्रजा,हो सत्ता का त्राण॥ लोकतन्त्र होता सफल,हो समता अधिकार।संविधान सम्मत चले,नीति प्रीति आधार॥ अभिव्यक्ति स्वाधीनता,करे न देश विरोध।सबसे ऊपर देश हित,बने नहीं अवरोध॥ सृजन कुंज भारत बने,कुसमित गंध निकुंज।जन विकास केवल … Read more

नयी भोर नव आश मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************* नई भोर नव आश मन,नव अरुणिम आकाश।मिटे मनुज मन द्वेष तम,मधुरिम प्रीति प्रकाश॥ मार काट व्यभिचार चहुँ,जाति धर्म का खेल।फँसी सियासी दाँव में,हुई मीडिया फ़ेल॥ अनुशासन की नित कमी,लोभ घृणा उत्थान।प्रतीकार में जल रहा,शैतानी हैवान॥ मिटी आज सम्वेदना,दया धर्म आचार।कहाँ त्याग परमार्थ जग,पाएँ करुणाधार॥ सत्ता के मद मोह में,अनाचार … Read more

गांधी बाबा को मत मानो,गांधी की अवश्य मानो

निर्मलकुमार पाटोदीइन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************************** अगले २० साल के लिए नई शिक्षा नीति प्रस्तुत हुई है। इसमें अनेक विशेषताएं हैं। एक बड़ी विशेषता कौशल के आधार पर विद्यार्थी को आत्मनिर्भर बनाने की है,विद्यार्थी का जीवन निर्माण करने की है। इसमें पाठ्यक्रम को कम रखते हुए अन्य गतिविधियों को महत्त्व दिया गया है। शिक्षा नीति कोरी दिमाग़ी और किताबी … Read more

जगो मुसाफिर

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ******************************************************** उठो सवेरे,जगो मुसाफिरदेखो सूरज निकल गया,चिड़िया अपने घर को छोड़मस्त पवन में खो गई। बाग-बगीचे,खेत-खलिहानहरे-भरे होने लगे,उठो सवेरे,जगो मुसाफिरदेखो सूरज निकल गया। प्रातः काल की अदभूत रंगपर्यावरण पे छाने लगा,उठो सवेरे,जगो मुसाफिरदेखो सूरज निकल गया। किसान अपने बैलों को लेकरखेतों की ओर जाने लगा,उठो सवेरे,जगाे मुसाफिरदेखो सूरज निकल गया। आल पे अंधेरा … Read more

गुरु

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ********************************************************** गुरु से गणना गुरु से गिनती,गुरु से रस छंद समास सभी।गुरु से रसआयन भौतिक भी,गुरु शिक्षक शीर्ष समाज सभी॥गुरु नैतिक अर्थ सुपथ्य कला,सुर काव्य खगोल पुराण सभी।गुरु ईश्वर हैं अरु ईश गुरू,गुरु से गण ज्ञान विधान सभी॥ गुरु के पग में सुख धाम रहे,सब लोग कहें यह पावन है।हम नेक … Read more

वीरों की याद में…

शिवकुमार दुबेइंदौर(मध्यप्रदेश)***************************************** लगा धूल माथे पर,बिछा देंगे पंखुड़ियाँपुष्पों की उनकी,स्मृतिशेष यादों में।प्रज्वलित करेंगे दीप,जहाँ से निकलेगीवीरों की यादों में प्रभातफेरियां,प्रणाम हे वीर मातृ तुम्हेंजो जन्मा ऐसा वीर,मातृभूमि में बलिदान होनेनिकला घर से सीना तान।हे वीर बालाओं तुम्हें प्रणाम,वज्र रख हृदय परलगाकर तिलक,करते हो विदा रणभूमि मेंअपने अप्रतिम प्यारे को।याद कर तुम्हें चिता राख से,लगाएंगे माथे … Read more

सत्कर्मों से जग सफल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************** सत्कर्मों से जग सफल,साहस धीर विनीत।अलस तजे पथ उद्यमी,मिले सुयश मधुप्रीतll स्वार्थ चित्त मद मोह जग,भूले सत् आचार।कामी खल अवसाद बन,आतुर निज संहारll प्रमुदित नित परहित मना,मानो प्रभु वरदान।पलभर जीवन हो वतन,सुख परमुख मुस्कानll दुर्जन हर्षित कलह में,निद्रा व्यसनी काम।छल-बल हिंसा क्रूरता,अविरत जग बदनामll सुरभि मधुर अन्तस्थली,परमारथ सत्काम।खुशियाँ हों … Read more

प्यार ऐसा न हो

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ************************************************************* प्यार ऐसा न होकि मौत बन जाए,होंठों पे तेरा नाम…अंदर कुछ और हो जाए। इरादा जैसा भी होनजदीकी साफ नजर आए,रिश्ता पवित्र हो या न हो…पर दुल्हन तैयार हो जाए। जुबां से निकली आवाजसमां के पार हो जाए,हवा का रुख बदले न बदले…जान तेरे नाम हो जाए। कसम खाई है साथ जीने … Read more

सुरभित वतन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************************** हो मंगलमय अरुणिमा,खिले प्रगति जग फूल।दया धर्म करुणा हृदय,परहित नित अनुकूल॥ रहें बिना दुर्भाव का,मानस बने उदार।भारतमय अन्तस्थली फैले प्रीत बहार॥ राष्ट्र पूत बलिदान से,लिपट तिरंगा गात्र।पल दो पल की जिंदगी,दुर्जय बने सुपात्र॥ लोकतंत्र अभिराम जग,संविधान हो श्रेष्ठ।ईश्वर में विश्वास हो,ज्ञानवान हो ज्येष्ठ॥ शीतल भाष सुभाष से,पाए जग संतोष।जीओ … Read more