तेरी आँखें

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** तेरी आँखें ये कहती हैं,तेरे काजल-सी लगती हैंचमकती मोती जैसी हैं,बात कुछ ऐसी लगती है। जुबां से ऐसा लगता है,प्यार का गहरा नाता हैछुपाने से नहीं छुपता,प्यार तो ऐसा होता है। फूल से खुशबू आती है,तुम्हें बस याद आती हैदिन में तारे दिखते हैं,तभी तो राज गहरे हैं। जमाना पीछे चलता हैतू … Read more

क्यूँ हार गए तुम!

रूपेश कुमार सिवान(बिहार)  ******************************************************** सुशांत सिंह-आत्महत्या इतनी क्या देर हो गई तुम्हें,तुम्हें आए कितने दिन हुएऐसे कोई थोड़े जाता है भला,ये जिंदगी कोई खेल थोड़े है। चौतीस यौवन देख चुके तुम,क्या इतने ही ज्यादा हो गएइस छोटी-सी जिंदगी में,जीवन क्यों मजबूर हुआ! अभी सारा जीवन बाकी था,शुरुआत तो अब हुई थीदूसरे को हौंसला देने वाले,स्वयं … Read more

आयेगा नहिं काल

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** दैनिक योग करो सखे,जब भी मिले सुकाल।तन निरोग मन में खुशी,आयेगा नहिं काल॥आयेगा नहिं काल,योग के लाभ निराले।तन का रंग गुलाब,केश काले के काले॥कहे ‘अवध’कविराय,बनो फौलादी सैनिक।जीवन हो खुशहाल,योग अपनाओ दैनिक॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी … Read more

एक की शहादत पे हजार चाहिए

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** भारत के सपूत को हिसाब चाहिए,इंकलाब,वन्दे मातरम् की आवाज चाहिएचाइना को सबक सिखाने के लिए,हिन्दुस्तान का स्वाभिमान चाहिए…। न रोटी,न कपड़ा,न मकान चाहिए,सम्मान की लड़ाई में,स्वाभिमान चाहिएलगाई है आग तो,अंजाम चाहिए,हिन्दुस्तान के सपूत को सलाम चाहिए…। इस बार बदला नहीं,बदलाव चाहिए,एक की शहादत पे हजार चाहिएचाइना पर नया कोहराम चाहिए,हिन्दुस्तान की अवाम … Read more

हम होंगे कामयाब एक दिन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************* वीर पुरुषों की सन्तति हम,महावीर विश्वास सतत मनतत्पर रक्षा सम्मान वतन,हम होंगे कामयाब एक दिन…। अपना जीवन अरमान वतन,हम उद्यत नित बलिदान वतनभारत माँ के अनमोल रतन,हम होंगे कामयाब एक दिन…। दिनकर सम भारत तेज प्रबल,हम सदा सुधाकर शान्ति विमलसंहारक हम नित ज्वाल अनल,हम होंगे कामयाब एक दिन…। हम … Read more

बदल गई जिंदगी

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** जहाँ मिलते हजारों भीड़ मेंवहाँ एक भी न मिला,जिंदगी बदली न बदली…हम तो बदल गए। सोचा था डॉक्टर बनूंपर मरीज बन गए,जिंदगी बदली न बदली…हम तो बदल गए । अहंकार की झूठी शानसबके घमंड टूट गए,जिंदगी बदली न बदली…हम तो बदल गए। सपने सजाए थे बहुतपर एक भी न चली,जिंदगी बदली न … Read more

तेरे नाम

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** तेरे नाम से जी रहा हूँतेरा गम पी रहा हूँ,खुश नसीब जिंदगी पे…एक कविता लिख रहा हूँ। किरदार न मिला तोइबादत लिख रहा हूँ,जहाँ समझ में न आया…वहाँ चाँद लिख रहा हूँ। याद न रही बचपन कीकिस्मत आजमा रहा हूँ,थोड़ा वक्त मिला है,मुझको…प्यार माँग रहा हूँ। अब कोई वादा नहींइंतजार कर रहा … Read more

प्यार के हसीन पल

विजय कुमारमणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** किसी की राह देखूँ तोशबनम याद आती है,जब कोई रूठ जाए तो-मुहब्बत याद आती है। ज्वाला दिल में जलती हैतो गहरा प्यार होता है,किसी ने जोर से कहा-मेरा तो दिल धड़कता है। तराजू ले के बैठा हूँबराबर हो नहीं पाता,मनाना मैं भी चाहता हूँ-बहाना मिल नहीं पाता। करुं तो क्या करुं ऐसामुझे … Read more

अम्फानी कहर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** फिर एक तबाही,विनाश,महा तूफान अम्फान विकटबर्बादी के वो निशां-ए-दर्द,तहस नहस क्षत-विक्षत जहां।सुन्दर वन की खूबसूरत वादियां,गिरे औंधे मुँह पेड़ लाखोंस्कूल,कॉलेज और आशियाने,बर्बादियाँ सड़कों,गाड़ियों सेतूओं की।मौत की कुदरती आपदाएँ,टूटी कहर बन कर चारों तरफएक तरफ ‘कोरोना’ का रोना,दहशत,मौत की कालिमादूसरी तरफ अम्फाम की दास्ता-ए-सितम।सिसकती कराहती हुई संवेदनाएँ,सैकड़ों मौतों का नग्न … Read more

बेबसी भाईचारे की

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** भाईचारा शब्द यह,बहुत सुखद संदेश। खोज़ रहे बस जग धरा,यहाँ वहाँ परिवेशll उपदेशक हैं बहु यहाँ,धर्म जाति सम्भाव। नेता साधु मौलवी,लूट रहे दे घावll अपनापन पाएँ कहाँ,स्वार्थ छली संसार। झूठ लूट धोखाधड़ी,करते अत्याचारll भाषा क्षेत्रिय जाति नित,धर्म नाम पर द्रोह। हिंसा रत नफ़रत यहाँ,प्रीति मोल अवरोहll शर्मसार अल्फ़ाज यह,भाईचारा … Read more