साहसी नारी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- शादी से पहले ये मौसम सोचो कितना प्यारा था, प्यार बहुत ही था दोनों में जिसका नहीं किनारा था। आज सोचने बैठी हूँ तो आँखें ही भर आती हैं, शादी से पहले की यादें मुझको बहुत सताती है। बीत गया वो वक्त सुहाना साथ कभी जो बीता था, प्यार … Read more

सावन

जसवंतलाल खटीक राजसमन्द(राजस्थान) ************************************************************* सावन आया झूम कर, रिमझिम करती बारिश आयी। आओ ! सखी झूला झूलें, बागों में हरियाली छायी॥ हँसी-ठिठोली करती सखियां, झूला झूलें मधुर गीतों संग। पंछियों की कलरव के बीच, इंद्रधनुष में छाए सतरंगी रंग॥ बहुत सुहाना मौसम है, चारों ओर हरीतिमा लाली। झूला झूले,क्रीड़ा करे , हँस-हँस कर बजाये ताली॥ … Read more

बारिश का मौसम

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- बारिश का मौसम चेहरों पर खुशियाँ लेकर आया, हर चेहरा खिल उठा रहा था पहले जो मुरझायाl बादल गरजे बिजली चमकी,चली पुरवाई, लगे झूमने तरुवर भी बारिश ने झड़ी लगायीl मोटी-मोटी बूँदों ने धरती को है नहलाया, मुँह से निकल पड़ा-देखो बारिश का मौसम आयाl निकल पड़ी बच्चों की … Read more

बरसो रे मेघा बरसो

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- आओ मेघा राजा आओ, प्यासी धरती जल बरसाओl सूखी नदियाँ ताल-तलैया, आकर इनकी प्यास बुझाओl आओ मेघा राजा… ढोर पखेरू मानुष सारे, तड़प रहे प्यासे बेचारेl जल ही जीवन प्राण वही है, प्राण दान इनको दे जाओl आओ मेघा राजा… सूख गयी खेतों की बाली, धानी चुनर हो गई … Read more

राष्ट्र प्रेम

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- देशप्रेम एक गुरूमंत्र है,सबको यही सिखाना है, कर पुरुषार्थ देश को अपने उन्नत हमें बनाना हैl हर घर पर लहराए तिरंगा,जन गण मन का गान हो, वंदेमातरम् गूँजे,ऐसा हिन्दुस्तान बनाना हैl राष्ट्रप्रेम जिस हृदय नहीं,हृदय नहीं वो पत्थर है, देशभक्ति का दीपक हमको हर दिल में जलाना हैl सारा … Read more

सीख

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- कर्म कर फल पाएगा, व्यर्थ कुछ ना जाएगाl सार्थक जीवन बिता ले, वर्ना फिर पछताएगाl चार दिन की जिन्दगी, कब समझ में आएगाl कर्म अच्छा या बुरा हो, जस किया तस पाएगाl झूठे हैं रिश्ते ये नाते, टूट ये भ्रम जाएगाl कर्म कर ले पुण्य का तू, साथ वो … Read more

गरीबी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- गरीबी ने हाल कुछ ऐसा बनाया, एक वक्त का खाना भी हाथ नहीं आयाl मांगकर के लाया था रोटी के टुकड़े, एक आवारा कुत्ता वो ले गया झपट केl भूखे को रातभर नींद भी न आई, हे ईश्वर ये गरीबी हमारे हिस्से ही क्यों आई ? कचरे से चुन-चुनकर … Read more

गर्मी में…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- झुलस रहे हैं पौधे सारे झुलस रही हैं सभी लताएँ, सारे तन को जला रही हैं दक्षिण की ये गर्म हवाएँ, जल से अपनी प्यास बुझा ले… आ राही थोड़ा सुस्ता लेl जेष्ठ महीना तपती धूप सूख गये हैं सारे कूप, बालू रेत में चला ना जाए कैसे अपनी … Read more

काश

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- काश! मेरी माँ होती आज जिन्दा, तो माँ की गोद में सोता ये बन्दाl माँ बचपन की तरह ही दुलारती, आँचल में बैठा के खाना खिलातीl भले ही मैं बहुत खूबसरत नहीं, मगर टीका लगाना भूलती नहींl काश! फिर मुझे लल्ला कह पुकारती, बालों में तेल लगा कंघे से … Read more

वीरों की धरती हिन्दुस्तान

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- वतन की शान है तो मेरी भी शान है, वतन की आन रखना मेरा ईमान है। वतन ही रब है मेरा ये मेरी जान है, इस दुनिया में सिरमौर मेरा हिन्दुस्तान है। वतन के वास्ते ही हम जियेंगे मरेंगे, वतन का सिर कभी भी नीचा न करेंगें। खाते हैं … Read more