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सावन

जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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सावन आया झूम कर,
रिमझिम करती बारिश आयी।
आओ ! सखी झूला झूलें,
बागों में हरियाली छायी॥

हँसी-ठिठोली करती सखियां,
झूला झूलें मधुर गीतों संग।
पंछियों की कलरव के बीच,
इंद्रधनुष में छाए सतरंगी रंग॥

बहुत सुहाना मौसम है,
चारों ओर हरीतिमा लाली।
झूला झूले,क्रीड़ा करे ,
हँस-हँस कर बजाये ताली॥

उमड़-घुमड़ करते हैं बादल,
जोर-जोर से बिजली चमके।
अच्छी बारिश होने की मंशा,
सोच कर सबका चेहरा दमके॥

साजन की यादों में झूलें,
साजन के गीत गुनगुनाए।
बड़े प्यार से याद करके,
साजन को वो पास बुलाए॥

बड़े चाव से झूले सजनी,
झूला झुलाए प्यारे साजन।
खूब प्यार हो एक-दूजे से,
सावन का महीना है पावन॥

परिचय-जसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

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