शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान)
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बारिश का मौसम चेहरों पर खुशियाँ लेकर आया,
हर चेहरा खिल उठा रहा था पहले जो मुरझायाl
बादल गरजे बिजली चमकी,चली पुरवाई,
लगे झूमने तरुवर भी बारिश ने झड़ी लगायीl
मोटी-मोटी बूँदों ने धरती को है नहलाया,
मुँह से निकल पड़ा-देखो बारिश का मौसम आयाl
निकल पड़ी बच्चों की टोली शोर मचा था भारी,
चलने लगी पकौड़े बनने की घर में तैयारीl
आसमान में शोर मचाते पंछी खुशी मनाते,
बछड़े दौड़े माँ के पीछे-पीछे जब रम्भातेl
जलभराव हो गया गली में खूब भर गया पानी,
गंदे जल में नहीं नहाना,बोल पड़ी तब नानीl
बरसा मूसलधार,मिट गयी प्यास धरा की सारी,
नमन करूँ परमेश्वर को,उपकार किया है भारीl
भर गये ताल-सरोवर सारे,रहा न कोई प्यासा,
खिले हुए चेहरे कृषकों के लिये फसल की आशाl
दु:ख भी है,बारिश ने जाने कितनी गोद उजाड़ी,
आयी बाढ़ मकान गिर गये,क्षति हुई है भारीl
कितनी ही माँओं के बेटे बहनों के वो भाई,
लील गयी ये बारिश सारे,कैसे हो भरपाईl
कितनी गोदें सूनी हो गयी कितनी हुई कलाई,
कितनी ही बहनें भाई को राखी बाँध न पायीl
रोते रह गये बच्चे कितने पापा-पापा कहते,
उनके आँसू रुक नहीं पाते,रहे निरंतर बहतेl
उजड़े शहर-गाँव कई उजड़े मरे मनुज पशु भारी,
कहीं-कहीं निर्दय हो जाती बारिश हाहाकारीl
हे ईश्वर ये ध्यान में रखना हम संतान तुम्हारी,
यूँ अकाल मौत ना मारो,सुन लो विनय हमारीll
परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।