बरखा रानी,अभी ना बरसो…
डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ नागपुर(महाराष्ट्र) ********************************************************************** रे कारे,घने बदरवा,अभी ना बरसो,हमारे अंगनवा।जब बिदेस से,आवें सजनवा,जोर लगा के बरसो,हमारे जीवनवा॥ याद आवें हैं,पी की जबर,अब मिलन की,चाह है बढ़ी।बारिश के मौसम,में भीगे,तन-मन जब,साथ हों हम हर घड़ी॥ बादल तुम,देखना कहीं,तूफां बनकर ना,बरसों कहीं।किसान की खेती,गरीब की झोपड़ी,मासूमों की जिंदगी से,ना खेलना कहीं॥ अपनों की यादें,उनके वादे,ना … Read more