सौभाग्य हमारा,कि ऐसा ‘पिता’ मिला

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. सोचा के कुछ लिख दूं आपके लिए,पर मौका ही कब दिया कुछ कहने के लिए। मन में क्या चल रहा है कब बताया ?सब ठीक है या कुछ दिक्कत! हमें कब जताया ? कब पता चलने दिया कि पैसे कहां से आते … Read more

उधार

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** “ठक ठक”“हाँ कौन ?” ऑफिस के दरवाज़े पर दस्तक सुनकर गुंजन बोली।“हैलो मैम,मैं गौरव, कॉलेज का ही विद्यार्थी हूँ।”“तो ? आपको पता नहीं क्या माहौल है। कॉलेज अभी बंद है आप लोगों के लिए।”“मैम,मेरी बात हुई है प्रोफ़ेसर से,उन्होंने परमिशन दी है। बस लाइब्रेरी में कुछ पढ़ना है। प्रोजेक्ट की … Read more

तुम्हारी आदत

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से तुम्हारी ऐसी आदत हो गई है,तुम्हारी आदत,मेरी आदत हो गई है।तुम्हारी आँखों से छलकते सपने,हर फरमाइश,मेरी चाहत हो गई है। कुछ तो बदल रहा है,ऐसा तो नहीं था मैं,तुम्हारी कड़वी बोली अब सताती है मुझे।हर पल मेरा ज़िक्र,हर वक्त बेवजह फिक्र,तुम्हारी बेझिझक शिकायतें,अब लुभाती … Read more

जो कह दे मेरा दोस्त…

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’  गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) ******************************************************************* आज भी सोच कर आती है अनभिप्रेत मुस्कान, जब यार की यारी से बढ़कर नहीं था कुछ महान। सही-गलत का भेद नहीं था,सोच की सीमा सीमित थी, जो कह दे मेरा दोस्त,उसी की सच से ऊपर कीमत थी। भाई नहीं था फिर भी उसको,भाई से ज़्यादा ‘भाई’ कहा, उसके … Read more

बच्चे फरमाइशों के

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’  गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) ******************************************************************* क्यों बेकार में लड़ती हो ? क्यों नाहक झगड़ती हो ? वो खेलने भी चले गए, तुम अब तक अकड़ती हो। मेरे-तुम्हारे के खेल में, क्यों अपना खून जलाती हो। बच्चों की बात में, क्यों खुद बच्ची बन जाती हो। न मेरे,न तुम्हारे और न हमारी ख्वाहिशों के, ये … Read more