ज़िंदगी की जंग
डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* पतंग-सी हो गई है ज़िंदगी,जानती है,जब तक ऊँचाई हैबस तब तक वाहवाही है,पर उड़ने की चाह है इतनीकि कटने की परवाह नहीं…। हमारे बदलते लहजे से तो,नाराज़ होने लगते हैं लोगकभी नहीं सोचते,न जानते,कि हाल कैसा है हमारासमझना चाहते हीं नहीं लोग…। जीवन के हर एक मोड़ पर,ख़ुशियों की परवाह … Read more