ज़िंदगी की जंग

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* पतंग-सी हो गई है ज़िंदगी,जानती है,जब तक ऊँचाई हैबस तब तक वाहवाही है,पर उड़ने की चाह है इतनीकि कटने की परवाह नहीं…। हमारे बदलते लहजे…

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स्वार्थ से टूट रहे परिवार

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** बदल गई संकल्पना,रूठ गया 'शिव' प्यार।एकल जब से हो गये,अपने घर परिवार॥ संस्कार और सभ्यता,गई घरों से रूठ।कौटुंबिक तरुवर हुआ,मानो कोई ठूँठ॥ सम्बन्धों में आजकल,नहीं रह…

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संकल्प

रोहित मिश्र,प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)********************************************** सड़क हादसे में रवि अपना एक पैर गंवाने से पूरी तरिके से सदमे में आ चुका था। वही इकलौता घर में कमाने वाला सदस्य था। बुजुर्ग माँ-बाप भी…

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अमृत,विद्यालय और अकेला चना

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** संध्या,पप्पी,मंजू और सुधा पास ही के गाँव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे। चारों एक ही गाँव के थे,इसलिए विद्यालय भी सब साथ में ही…

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उसकी है सबको जरूरत

रोहित मिश्र,प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)********************************************** नारी है प्रेम की मूरत,लगती है खूबसूरतभाती है उसकी सूरत,उसकी है सबको जरूरत। माँ है ममता की मूरत,बहन की प्यारी-सी सूरतपत्नी भी खूबसूरत,उसकी है सबको जरूरत। नहीं है…

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जिंदगी खोई-खोई

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** जब कोई अवसाद से घिर,जाता है मित्र।फिर उसको दिखते सभी,धूमिल-धूमिल चित्र॥धूमिल-धूमिल चित्र,समझ में कुछ ना आए।लगे जिन्दगी भार,नहीं दिल को सुख भाए॥दिखे सघन तम और,जिन्दगी खोई-खोई।जाता…

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पवित्र हदय ही उत्तम तीर्थ

रोहित मिश्र, प्रयागराज(उत्तरप्रदेश) ********************************************** भारतीय समाज में ये मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। यानि आपके मन में अगर कुछ गलत विचार…

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भूख तो कल भी रहेगी…

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** भूख कल थी,भूख है अबभूख तो कल भी रहेगी…Iकैसा वह दिन,अजब होगा सोचिए…भूख न जिस दिन रहेगी…।मोह,लिप्सा व क्षुधा,काम,प्रेम,आसक्ति केकितने ही अवतरण लेकर…।भूख ही पलती रहीघृणा,ईर्ष्या,द्वेष…

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आ गया फिर बसन्त

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************ आ गया फिर बसन्त,फूलों को कहे हसन्तबाग-बगीचे खिल गए,हृदय से हृदय मिल गए।सरसों के हाथ पीले,चना तनकर मुस्कायाअलसी ने कमर मटकाई,गेहूं फूला न समाया।कृषक का धन…

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महाकाल:अमरत्व की प्राप्ति

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ महाशिवरात्रि विशेष............ यह हमारी अवंतिका नगरी(उज्जैन,मप्र) की यात्रा का वृतांत है। वह नगरी जो हमारी आस्था का प्रतीक है। सत्यम,शिवमऔर सुंदरम के भावों को अपने में…

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