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भूख तो कल भी रहेगी…

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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भूख कल थी,
भूख है अब
भूख तो कल भी रहेगी…I
कैसा वह दिन,
अजब होगा सोचिए…
भूख न जिस दिन रहेगी…।
मोह,लिप्सा व क्षुधा,
काम,प्रेम,आसक्ति के
कितने ही अवतरण लेकर…।
भूख ही पलती रही
घृणा,ईर्ष्या,द्वेष और
लोभ के आवरण लेकर…।
देवासुर संग्राम क्या था ?
राम का बनवास क्या था ?
सीता-हरण,लंका विजय के
गर्भ में संत्रास क्या था ?
यह चिरंतन सत्य है,
प्रगति और खोज का आधार है…।
भू-तल पर,भू-गर्भ और आकाश में,
ऊर्जा के स्रोत और प्रकाश में
झलकता बस भूख का संसार है…।
भूख न होती तो आदि पुरूष
अग्नि,चक्र को,क्या खोज पाता ?
भूख के कारण ही भक्ति,
भूख के कारण ही भय है
भूख ही देती है शक्ति,
भूख ही देती विजय है।
भूख बिन सब ज्ञान कैसा ?
तपस्या और ध्यान कैसा ?
धर्म कैसा,कर्म कैसा,
भूख बिन विज्ञान कैसा ?
भूख कल थी,
भूख है अब…
भूख तो कल भी रहेगी…I
कैसा वह दिन,
अजब होगा सोचिए
भूख न जिस दिन रहेगी…॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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