श्री राम

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* प्यारे है श्रीराम जी,रघुकुल के अभिमान। सत्य के पर्याय हैं,उनकी यह पहचान॥ उनकी यह पहचान,प्रजा के पालनकर्ता। नहीं अहम का भाव,जगत के कर्ता-धर्ता॥ कहता कवि…

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शिक्षा

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* शिक्षा देती है हमें,जीवन में संस्कार। हो प्रकाश चहुँओर से,होय ज्ञान प्रसार॥ होय ज्ञान प्रसार,भय से मिल जाए त्राण। हो अज्ञान विनाश,है शिक्षा जग का…

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अनेकता में एकता

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* नाना संस्कृतियां यहाँ,विविध धर्म के लोग। मिलजुलकर रहते सभी,नदी नाव संजोग॥ नदी नाव संजोग,विविध है भाषा भाषी। जाति पाति हैं विविध,सभी है हिन्द निवासी॥ कहे…

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ममता

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* ममता और स्नेह का,माँ होती भंडार। बिन माँ के कुछ भी नहीं,खाली है संसार॥ खाली है संसार,माँ होती शक्तिशाली। ममता से भरपूर,माँ होती है निराली॥…

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पुरुषार्थ

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* जीवन में पुरुषार्थ का,सदा करो तुम मेल। रहो सदा हँसते हुए,दो दिन का यह खेल॥ दो दिन का यह खेल,असत्य न इसको मानो। जीवन है…

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वीणापाणि

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* वीणापाणि सरस्वती,करे ज्ञान संचार। वरदा माता बुद्धिदा,सुभग साज श्रृंगार॥ सुभग साज श्रृंगार,दो विमल मति हे माता। मांगू हस्त पसार,मात हे भाग्य विधाता॥ कहत नवल करजोरि,करो…

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प्रातः वंदन

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* सबका अभिनंदन नमन,करें प्रातः प्रणाम। परमपिता का स्मरण कर,शुरू करें हम काम॥ शुरू करें हम काम,करें सब ही का वंदन। सबका हो कल्याण,सभी मिट जाए…

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राम का नाम करे भवपार

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* (रचना शिल्प:१६ मात्रिक छन्द-आदि में ३,२त्रिकल द्विकल अंत में २,३द्विकल त्रिकल दो-दो चरण सम तुकांत चार चरण का एक छन्द) अवध के प्यारे हैं श्री…

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प्रकृति माँ,मानव है संतान

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्रकृति माँ,मानव है संतान। करें हम स्वच्छता आह्वान॥ रहें हम सदा प्रकृति के संग। सभी हम हैं कुदरत के अंग॥…

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पिता हैं ईश्वर रूप

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* (रचना शिल्प:२२ मात्रा, १२,१० पर यति। यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल व अंत में गुरु वर्ण) पिता है सबके पूज्य,मान उनका करो। सदा वही…

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