हूक
डॉ. पंकज वासिनीपटना (बिहार) ******************** काव्य संग्रह हम और तुम से हमबता नहीं सकते,कितना अच्छा लगता था…तेरा आँखों से छूना…lलम्हा-दर-लम्हा…चुपचाप…सस्मित…!और,रोम-रोम मेरा पुलकित…lहृदय-वीणा पर,बज उठता मालकौश…!मन-मयूर नर्तित…,स्वप्न-अंजित-नयन सस्मित…lअरुण-मुख लाज-नत…और रुक जाते थे,हाथ मेरेकभी रोटियाँ बेलते…,कभी अम्मा के पाँव दबाते…कभी बाबूजी को खाना परोसते…lदरम्यां हमारे,आज कोई नहींसिर्फ हवाएँ,महत्वाकांक्षा कीकरती सांय-सांय…!एक हूक-सी,उठती है अंतस मेंफिर इक बार,उन्हीं मीठी … Read more