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नहीं यह देश है उसका

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’
बसखारो(झारखंड)
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आंदोलन के नाम पे क्या,तुम सारा देश जला दोगे ?
घुसपैठियों की ख़ातिर क्या,घर की नींव हिला दोगे ?
शासन से मतभेद अगर है,आसन से तुम बात करो-
अफ़वाहों के भीड़ तंत्र में,क्या लोकतंत्र झुठला दोगे ?

गुंडागर्दी भेड़चाल में क्या,सब-कुछ आग लगा दोगे ?
गंगा जमुनी तहज़ीब भुला,खुद को आज दगा दोगे ?
लोकतंत्र में आंदोलन की,होती लक्ष्मण रेखा है-
निर्दोषों का खून बहा क्या,रावणराज जगा दोगे ?

संविधान के नाम पे क्या तुम संविधान ही तोड़ोगे ?
औरों की ख़ातिर क्या तुम अपनों से मुँह मोड़ोगे ?
सत्य अहिंसा गाँधीवादी,फ़क़त दिखावा क्या तेरा-
निर्दोषों का खून बहा,कानून का सर भी फोड़ोगे ?

किसी अफ़वाह को सुनकर,कभी गुमराह मत होना,
बिना सोचे-बिना समझे,…कभी संयम नहीं खोना।
अगर सहमत नहीं हो तो,प्रदर्शन तुम करो लेकिन-
दिलों में बीज नफऱत का,कभी भी तुम नहीं बोनाll

अगर गुस्सा तुम्हें आता,कभी क्या घर जलाते हो ?
अगर मतभेद हो घर में,कभी क्या सर लड़ाते हो ?
नहीं नुकसान कुछ करते,समझते घर हो अपना-
तो क्या ये घर नहीं तेरा ? जो तुम पत्थर चलाते होll

समझते जो अगर घर तो,कभी ये काम न करते,
अगर होती मुहब्बत तो,कभी बदनाम न करते।
जलाता देश को जो है,नहीं वह देश का होता-
अगर तुम नागरिक होते,यूँ कत्लेआम न करतेll

लगाये आग नफऱत की,गलत परिवेश है उसका,
जलाये देश को जो भी,गलत उद्देश्य है उसका।
अगर सहमत नहीं है तो,ख़िलाफ़त वो करे बेशक़-
मगर जो देशद्रोही है,नहीं यह देश है उसकाll

पृथक भाषा-पृथक बोली,पृथक परिवेश है अपना,
पृथकता में सदा मिल-जुल,यही संदेश है अपना।
नहीं हिन्दू-नहीं मुस्लिम,नहीं कोई सिक्ख-ईसाई-
करे जो प्यार भारत से,उसी का देश है अपनाll

परिचय- पंकज भूषण पाठक का साहित्यिक उपनाम ‘प्रियम’ है। इनकी जन्म तारीख १ मार्च १९७९ तथा जन्म स्थान-रांची है। वर्तमान में देवघर (झारखंड) में और स्थाई पता झारखंड स्थित बसखारो,गिरिडीह है। हिंदी,अंग्रेजी और खोरठा भाषा का ज्ञान रखते हैं। शिक्षा-स्नातकोत्तर(पत्रकारिता एवं जनसंचार)है। इनका कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता और संचार सलाहकार (झारखंड सरकार) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर शिक्षा,स्वच्छता और स्वास्थ्य पर कार्य कर रहे हैं। लगभग सभी विधाओं में(गीत,गज़ल,कविता, कहानी, उपन्यास,नाटक लेख,लघुकथा, संस्मरण इत्यादि) लिखते हैं। प्रकाशन के अंतर्गत-प्रेमांजली(काव्य संग्रह), अंतर्नाद(काव्य संग्रह),लफ़्ज़ समंदर (काव्य व ग़ज़ल संग्रह)और मेरी रचना  (साझा संग्रह) आ चुके हैं। देशभर के सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आपको साहित्य सेवी सम्मान(२००३)एवं हिन्दी गौरव सम्मान (२०१८)सम्मान मिला है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय श्री पाठक की विशेष उपलब्धि-झारखंड में हिंदी साहित्य के उत्थान हेतु लगातार कार्य करना है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को नई राह प्रदान करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-पिता भागवत पाठक हैं। विशेषज्ञता- सरल भाषा में किसी भी विषय पर तत्काल कविता सर्जन की है।

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