निगाहें

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** निगाहें ख़ंजर का भी काम करती है, जिधर उठती है कत्लेआम करती है। इन आँखों की गुस्ताखियां तो देखो- दिल की बातें भी सरेआम करती है। निगाहें मैख़ाने का भी काम करती है, मुहब्बत के पैमाने में जाम भरती है। डूबकर कभी इन आँखों में तो देखो- खुद आँखों … Read more

भाषा निहित समाज है

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. भाषा निज सम्मान है,भाषा से पहचान। भाषा निहित समाज है,भाषा से अरमान॥ मातृभाषा से अपनी,करते सब हैं प्यार। मातृभाषा बोल बड़ी,है अपना हथियार॥ हिंदी भाषा हिन्द की,अंग्रेजी को छोड़। दिल बसा ले स्वदेशी,इससे नाता जोड़॥ हिंदी भाव सहज बड़ी,मीठे इसके बोल। भाषा सब हिंदी खड़ी,कानों … Read more

हे राम तुम्हें फिर आना होगा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** हे राम तुम्हें फिर आना होगा, खुद अधिकार जताना होगा। नहीं मिलेगा इंसाफ तुम्हें भी, खुद हथियार उठाना होगा। याद है वो सागर की ढिठाई, पूजा-प्रार्थना काम न आयीl जब कुपित हो उठाया बाण, खुद सागर ने थी राह दिखाई। वही रूप तुम्हें दिखाना होगा, हे राम तुम्हें… अब … Read more

बड़ी अदभुत प्रतिभा रहे अरुण

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** जीएसटी और नोटबन्दी,लिया था फैसला मुश्किल, कुशल नेता प्रखर वक्ता,सभी के संग रहे घुल-मिल। बड़े ही प्रिय अरुण जेटली,अटल वाजपेयी के खास, गये वो छोड़कर सबको,वहाँ सुषमा-अटल के पास। बड़ी अदभुत प्रतिभा वो,सदा लोकप्रिय अरुण जी थे, सियासी धुर विरोधी में,सभी के प्रिय अरुण जी थे। कहाँ हारे कभी … Read more

कान्हा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. काल चक्र से परे हो मोहन,तुम्हीं बताओ पड़े कहाँ हो, पार्थ सारथी बने हो माधव,जहां जरूरत खड़े वहाँ हो, तुम्हें ही ढूंढे है जग ये सारा,तड़प रहा है ये दिल हमारा- अभी जरूरत तुम्हारी केशव,चले ही आओ बसे जहाँ हो। नहीं धरा में न आसमां … Read more

ख़ता मेरी बताते

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* कभी सोचा न था हर पल मेरी अब जान जाएगी, तुम्हारी याद जीवन भर मुझे हरदम सतायेगी। ख़ता मेरी बताते इस कदर तुम दूर मत जाते, मेरी धड़कन की हर सरगम किसे अब क्या सुनाएगी। तुम्हारे प्यार पर कितना भरोसा था मुझे हमदम, भरोसा तोड़ के कैसे भरोसा फिर दिलाएगी। सहर … Read more

मत ये सजा दीजिए।

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* मुद्दतों जो छिपाया,बता दीजिए, आग जिस्मो-ज़िगर की बुझा दीजिए। हमनशीं रूठकर दिल जलाती रही, पास उनको कोई फिर बुला दीजिए। गैर का दिल बसेरा बना आपका, प्यार की मेरे मत ये सजा दीजिए। आपको गैर की बज़्म भाने लगी, मेरी क्या अब जगह है जता दीजिए। ख़्वाब तो ख़्वाब हैं,टूटते हैं … Read more

सूखा सावन

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** सावन भी है सूखा साजन,जैसे गुजरा आषाढ़, खेतों में है पपड़ी सूखी,जैसे पसरा सूखाड़। कहीं-कहीं में सूखी नदिया,कहीं पे आयी बाढ़, सूखे में कोई रोता देखो,कोई डूबा रोये दहाड़। आसमान से शोले बरसे,धरती आग उगलती है, बरखा के इस मौसम में भी,धरती भाप उगलती है। सावन में हरियाली कैसे,वसुधा … Read more

विचार तो वेदवाणी

पंकज त्रिवेदी सुरेन्द्रनगर(गुजरात) *************************************************************************** पहले प्रहार की कॉलबेल पुकारते मुर्गे की आवाज़ से इंसान जाग जाता है। क्या जागने की यह प्रक्रिया सही अर्थ में होती है ? ईश्वर ने दिन-रात क्यों बनाए हैं ? दिनभर दौड़-धूप करके,मज़दूरी-मेहनत करके परिवार को पालने-पोसने के लिए ही ? और रात थके हुए इंसान के शरीर को आराम … Read more

नहीं ये प्यार है साक्षी

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** करे नीलाम जो इज्ज़त,नहीं व्यवहार वो अच्छा, तमाशा जो बने चाहत,नहीं है प्यार वो अच्छा। बहे माँ-बाप के आँसू,अगर औलाद के कारण- नहीं औलाद वो अच्छी,नहीं संस्कार वो अच्छा। नुमाईश हो अगर दिल की,नहीं वो प्यार कहलाता, करे माँ- बाप को रुसवा,नहीं अधिकार कहलाता। मुहब्बत नाम है संयम,मुहब्बत त्याग … Read more