ज़िन्दगी हरदम लेती परीक्षा
पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:काफ़िया-आर,रदीफ़-है मिलता, बहर-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) फ़क़त ही याचना करके,कहाँ अधिकार है मिलता, उठा गाण्डीव जब रण में,तभी आगार है मिलता। नहीं मिलता यहाँ…