कबीरा
पंकज त्रिवेदी सुरेन्द्रनगर(गुजरात) *************************************************************************** हरि नाम के वस्तर बुनते मन हरि हरि कबीरा, ताने-बाने बुनते-बुनते ऊठ रही है तान कबीरा। आधे कच्चे,आधे पक्के सूत के दिन ये चार कबीरा, नीले पीले हरे गुलाबी कुछ दिन है ये लाल कबीरा। बुनता कपड़ा ऐसे फैला जैसे चारों वेद कबीरा, इच्छाओं के तार टूटते बाँधे कसकर वो ही … Read more