मोहरा
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* नियति बड़ी क्रूर होती है, मनुज बँधा नियति के हाथ, सारे यत्न व्यर्थ हो जाते, भाग्य नहीं जब होता साथ। बिन ब्याही माँ जन्म…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* नियति बड़ी क्रूर होती है, मनुज बँधा नियति के हाथ, सारे यत्न व्यर्थ हो जाते, भाग्य नहीं जब होता साथ। बिन ब्याही माँ जन्म…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* दान प्रकृति है मनुष्य की, वह दान करता है,करना चाहता है। सुख पाता है दान कर के,कुछ भी; अपनी औकात के अनुरूप, जो हो…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* रोटी के टुकड़ों से पेट समझौता कर सकता है, पेट की आग नहीं। वो शोलों में तब्दील होने लगती है, इंतज़ार करने लगती है…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* जानता हूँ,परिवर्तन शाश्वत सत्य है प्रकृति का। परिवर्तन न हो तो थम जाए गति,रुक जाए सब-कुछ, जैसे रुक जाता है साँसों का चलना ज्ञानेन्द्रियों…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* कम अनूठी नहीं है, श्रवण कुमार से, पुत्र-धर्म की कहानी पितृभक्त राजा पुरु की; भीष्म से भी कहीं मार्मिक है यह दान, नहीं है…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* कितनी जिज्ञासु हैं आँखें! देखना चाहती हैं कितना कुछ बहुत कुछ,सब कुछ; इसलिए चहेती हैं, मन की,दिल की,पूरे जिस्म की। ये देती हैं भूख,पूरे…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* भूख कभी ईमान नहीं खाती; ईमान तो इच्छा का शिकार होती है। भूख को तो सिर्फ रोटी चाहिए, रोटी,एक पवित्र आहार जैसे-प्यास के लिए…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* मनुष्य की स्वाभाविक आदत है रोना, हँसने,गुस्साने,प्यार करने की ही तरह। इसीलिए,रोने का प्रयोजन हमेशा दु:ख-दर्द ही नहीं होता...। अतृप्ति कभी-कभी सकारात्मक भी होती…