जरूरी है…
प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** आम को अब ख़ास होना भी जरूरी है। इसलिए अब आज रोना भी ज़रूरी है। सब मिले खैरात में मुमकिन नहीं शायद, कर मशक्कत बोझ ढोना भी जरूरी है। काटना है फ़सल ग़र इंसानियत की तो, फिर लहू से सींच बोना भी ज़रूरी है। ग़म जहां के भूल सपने देखना … Read more