भीगे तन-मन
दौलतराम प्रजापति ‘दौलत’ विदिशा( मध्यप्रदेश) ******************************************** हँसी-ठिठोली प्यारी बोली। आओ मिलकर खेलें होली। प्यार मोहब्बत सदभावों से, रंगों जैसी बने रंगोली। पिचकारी की पड़ें फुहारें, भीगे तन-मन दामन चोली। फ़ाग गली…