अब क्या बचा है गाँव-सा

दौलतराम प्रजापति ‘दौलत’ विदिशा( मध्यप्रदेश) ******************************************** आज अनबन क्या हुई घर बार से, लोग आ कर लग गए दीवार से। कौन जिम्मेवार है इस जुर्म का, राज साया हो गए अखबार…

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कुछ नया सोचते हैं

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* जीवन के नये सफ़र में मेरे जीवनसाथी, लेकर हाथों में हाथ चलो! आज कुछ, नया सोचते हैं। जो तुमसे या मुझसे पहले, कभी किसी ने…

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बूढ़े सपने

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* आड़ी-तिरछी रेखाओं से अटा चेहरा, केश घटाएं चांदी हो गयी, मंद पड़ गयी नयन की ज्योति, पपड़ाए होंठ सूखा हलक़ झड़ गयी अब तो, दन्त-मालिका।…

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प्रतिशतों का मकड़जाल

पवन प्रजापति ‘पथिक’ पाली(राजस्थान) ************************************************************************************** प्रतिशतों के मकड़ झाल में उलझे बच्चे अस्सी- नब्बे फीसदी अंक प्राप्त करके भी उस प्रसन्नता से वंचित है,जो हमें कभी 'मात्र उत्तीर्ण' हो जाने…

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मैं तो,माँ हूँ

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… नौ माह गर्भ के खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ, असहनीय प्रसव पीड़ा के बाद, जब मैंने तुझे जन्म दिया, अपनी गोद में…

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शुभ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

हिन्दीभाषा.कॉम मंच के रचनाकार साथी विजय प्रजापत ‘पोटर’जी का ०५  मई को शुभ जन्मदिन है..इस पटल के माध्यम से आप उनको शुभकामनाएं दे सकते हैं…..

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जीवन दर्शन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* प्रकृति का अदभुत दृश्य, वृक्ष डाल पे लगे दो पत्ते, एक सूखा मुरझाया पत्ता, टूट गया डाली सेl एक ने पाया जीवन स्पंदन, हरा हो…

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धरती माँ

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… धरती माँ के, अखण्ड रूप को खण्ड-खण्ड करते हो क्यों ? कहते हो माता धरती को, माता के टुकड़े करते…

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ज़िन्दगी का सवाल

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* उम्र के एक पड़ाव पर, ज़िन्दगी ने ज़िन्दगी से पूछा- क्या किया उम्रभर ? ज़िम्मेदारियों के बोझ तले, दब कर रह गया बस तेरा अस्तित्व।…

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भीतरी दुश्मन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* देश की सुरक्षा को, केवल बाहरी आतंक से ही नहीं, भीतर छुपे दरिन्दों से भी बचाना होगा। देश को जो अमानवीय तत्वों से, बचाने का…

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