अष्टम अनुसूची की हिन्दी हित में पुनः समीक्षा अपेक्षित

ओम प्रकाश पांडेयपटना (बिहार)********************************************* विगत आधी सदी से भी कुछ अधिक अवधि से अवलोकन करता आ रहा हूँ कि क्षेत्रीय बोली के नाम पर अधिकतर व्यक्ति,कुछ से कुछ लिखते हुए गुणवत्ता के प्रति सचेत नहीं रहते हैं। फलतः अपेक्षित स्तर का प्रायः अभाव रहता है। विषय-वस्तु,भाव एवं भाषिक रूप से भी और,इसी लिए स्थानीय स्तर … Read more

बेटी-कुदरत का वरदान

बुद्धिप्रकाश महावर मनमलारना (राजस्थान) **************************************************** दाता तो भगवान है,गुरु है बड़ा महान।मात-पिता सबसे बड़े,पूजे सकल जहान॥ बेटा सूरज तेज सम,बेटी शीतल छाँव।बेटी है अनमोल धन,जिस घर बेटी पाँव। बेटी से दुनिया बने,बिन बेटी सब सून।माँ दादी नानी बहन,देती बड़ा सुकून॥ पढ़ा-लिखा और मान दो,फिर हो कन्या दान।दोनों कुल का नाम हो,आन-बान अर शान। ब्रह्मा विष्णु … Read more

अबकी बार सावधानियां अधिक

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** लो आ गया अब ‘कोरोना-२’…! या उत्तर कोरोना…! जिसमें न कोई लक्षण है, जिसकी न कोई पहचान। जो बिना सावचेत किए, कर रहा है हमला। ये सोच लो, कि अबकी बार सावधानियां अधिक, है जिम्मेदारियां ज्यादा क़्योंकि अदृश्य है दुश्मन, अदृश्य है हमला। बस एक ही दवा, बस एक … Read more

..पर ‘कोरोना’ को भगाएंगे

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** मैं भारत हूँ,तुम भारत हो, हम भारत हैं,सब भारत हो। मैं बचूंगा,तुम बचोगे, हम बचेंगे,सब बचोगे। सब बचेंगे,देश बचेगा, भारत का परिवेश बचेगा। त्यागी तपस्वी संत हैं हम, जीवन आदि अंत हैं हम। शील शक्ति शौर्य हैं हम ही, सत्य अहिंसा धैर्य हैं हम ही। रोकेंगे खुद को इक्कीस … Read more

मातृत्व से वंचित

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. खिलते हैं उरोज अब कुसुम जैसे, जो मोह लेते, बड़े-बड़े सप्तर्षियों को। शुक-सा बन्द है पिंजड़े में, सप्ला पुष्प की तरह खिलकर रात में। मधु, पराग रहित सुरभि को बढ़ाता है, बस कंचुकी आड़ में छिपा है स्वर्गिक सुख लिए। डरती हैं सुन्दरियाँ, अपने लालों को … Read more

फसलों का `गर्भपात’

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** यदि, घड़ी भर के लिए उनके पास ठिठक जाती है नींद, तब भी मेरे पिता जी, नींद में बड़बड़ाते रहते हैं। उनके हाथ, नींद में भी थिरकते हैं ऐसे, जैसे जागृत अवस्था में खेत से, छुट्टा पशुओं को भगा रहे हों। जरा-सा, मक्के की पाती यदि हिल जाती है हवा से, … Read more

…क्योंकि,अपनी लड़ाई मांस-लहू से नहीं

बुद्धिप्रकाश महावर मन मलारना (राजस्थान) **************************************************** इंसान के चरित्र में यह खूबी हमेशा ही रही है कि,वह दूसरों के कार्य की अक्सर आलोचना करता रहता है,उनकी ओर उंगली करता रहता है,परंतु यह नहीं देख पाता है कि बाकी की उंगलियां स्वयं की ओर इशारा करती है। यह तो इंसान की प्रकृति है। वह दूसरों से … Read more

गाँव की रात

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** अभी-अभी घुप्प अंधेरे में, छिप जाएंगी ये गाँव की गलियाँ, गलियारे पर हो रही पैरों की पदचाप, अभी-अभी ठप्प हो जाएगी। धीरे-धीरे, घरों में बुझ जाएंगी जल रही ढिबरियां, पूरे गाँव में थकान से भरा सन्नाटा, पसर-सा जाएगा। सांय-सांय करती हुई रात में, अभी-अभी शुरु होगी कुत्तों की गश्त, दूर गन्ने … Read more

ईश्वर के कृपापात्र

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** ये जो जितनी भी, गगनचुंबी इमारतें दिख रही हैं, उसमें रहने वाले, सबसे खास हैं ईश्वर के। वे, पहले कृपापात्र हैं उसके, जिसके इशारे पर हवा-नदियाँ बह रही हैं। हिलते हैं वृक्षों के पत्ते, गुंजारते हैं फूलों पर भ्रमर दल, जिसकी साँसों से, करतल ध्वनि दुनिया में होती है। अधिकारी हैं … Read more

प्यास

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जाके दिल में हो सदा,नेह स्नेह की प्यास। बबुआ उनसे राखिये,अपनेपन की आस॥ बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जो बड़पन न आय। जैसे सागर तीर से,बबुआ प्यासो जाय॥ नीति नियत सब ठीक हो,करिये सत्य प्रयास। बबुआ वैसी तृप्ति हो,जैसी मन में प्यास॥ भूख लगे रोटी मिले,प्यास लगे तो नीर। मालिक इतना … Read more