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माँ

बुद्धिप्रकाश महावर मन
मलारना (राजस्थान)

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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


ए माँ तेरे चरणों में,सुख चैन है सब मेरा,
बिन तेरे जीना तो,लगता है घोर अंधेरा।

आँखों में आँसू हैं,आँचल से दूध बहे,
ममता की मूरत तू,कितने ही कष्ट सहे।
पर हार ना मानी तू,तूफानों ने भी घेरा,
ए माँ तेरे चरणों में…ll

देखा है जबसे माँ,बस एक यही माना,
भगवान से भी पहले,माँ मैंने तुझे जाना।
जीवन स्वर्ग है तुझसे,खुशियों का है बसेरा,
ए माँ तेरे चरणों में…ll

क्यों भूल रहे माँ को,क्यों दूर हुए माँ से,
इक माँ ही अपनी है,शिकवे हैं जमाने सेl
तू त्याग की मूरत है,बलिदान का है डेरा,
ए माँ तेरे चरणों में…ll

क्या दूँ मैं तुझे ए माँ,ये जीवन तेरा है,
उपकार किए कितने,तू भाग्य मेरा है।
इक जन्म क्या ए माँ,हर जन्म ही है तेरा,
ए माँ तेरे चरणों में…ll

वे अभागे हैं जग में,माँ को ना पहचाना,
दु:ख देते क्यों माँ को,ये मन भी नहीं जाना।
माँ तो बस इक माँ है,माँ बिन नहीं सवेरा,
बिन तेरे जीना तो,लगता है इक अंधेराll

परिचय-बुद्धिप्रकाश महावर की जन्म तिथि ३ जुलाई १९७६ है। आपका वर्तमान निवास जिला दौसा(राजस्थान) के ग्राम मलारना में है। लेखन में साहित्यिक उपनाम-मन लिखते हैं।हालांकि, एक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ने आपको `तोषमणि` साहित्यिक उप नाम से अलंकृत किया है। एम.ए.(हिंदी) तथा बी.एड. शिक्षित होकर आप अध्यापक (दौसा) हैं। सामाज़िक क्षेत्र में-सामाजिक सुधार कार्यों,बेटी बचाओ जैसे काम में सक्रिय हैं। आप लेखन विधा में कविता,कहानी,संस्मरण,लघुकथा,ग़ज़ल, गीत,नज्म तथा बाल गीत आदि लिखते हैं। ‘हौंसलों के पंखों से'(काव्य संग्रह) तथा ‘कनिका'( कहानी संग्रह) किताब आपके नाम से आ चुकी है। सम्मान में श्री महावर को बाल मुकुंद गुप्त साहित्यिक सम्मान -२०१७,राष्ट्रीय कवि चौपाल साहित्यिक सम्मान-२१०७ तथा दौसा जिला गौरव सम्मान-२०१८ मिला हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय जागृति,पीड़ितों का उद्धार, आत्मखुशी और व्यक्तिगत पहचान स्थापित करना है।

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