आभास
तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान) ************************************************* आज हृदय में एक अनोखी, पीड़ का आभास है। पुष्प की ज्यूँ पाँखुड़ी में, सुवास का वास है। वेदना के अधरों पर अनमनी-सी मुस्कान है, व्याकुल नयनों की छलकी गगरीl मन की बस्ती वीरान है, दिवस परेशान और संध्या उदास है। आज हृदय में एक अनोखी, पीड़ का आभास हैll … Read more