शाम

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* दूर क्षितिज पे, लगे यूँ ऐसे ढलती शाम का ढलता सूरज है अधीर, धरती से मिलने। आसमां की छटा निराली, कुछ उजली कुछ काली-काली, चारों…

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भोर

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* धरती के आँगन पर, देखो भोर ने फिर से डेरा डालाl आकाश की गोदी से, उतर कर सूरज ने, अंगड़ाई लीl अलसायी-सी रात ने देखो,…

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मालूम नहीं,दौड़े जा रहे हैं लोग

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* (रचनाशिल्प:२१२ १२१ २१२ १२१) कुत्ते की क़दर,आदमी बेक़दर देखा, सबकी ख़बर,ख़ुद को बेख़बर देखा। बेवफ़ा हवाओं ने अपना रुख़ बदला, मौसम-ए-बहार में सूखा शज़र देखा।…

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कुछ नया सोचते हैं

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* जीवन के नये सफ़र में मेरे जीवनसाथी, लेकर हाथों में हाथ चलो! आज कुछ, नया सोचते हैं। जो तुमसे या मुझसे पहले, कभी किसी ने…

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हार न मानी

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* मीरा दर्द न जाने कोये, जाने वही जो मीरा होये। बचपन प्रीत श्याम संग लागी, स्वप्न आँख श्याम संग सोई, भोर भई गिरधर संग जागी,…

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बूढ़े सपने

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* आड़ी-तिरछी रेखाओं से अटा चेहरा, केश घटाएं चांदी हो गयी, मंद पड़ गयी नयन की ज्योति, पपड़ाए होंठ सूखा हलक़ झड़ गयी अब तो, दन्त-मालिका।…

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मैं तो,माँ हूँ

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… नौ माह गर्भ के खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ, असहनीय प्रसव पीड़ा के बाद, जब मैंने तुझे जन्म दिया, अपनी गोद में…

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जीवन दर्शन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* प्रकृति का अदभुत दृश्य, वृक्ष डाल पे लगे दो पत्ते, एक सूखा मुरझाया पत्ता, टूट गया डाली सेl एक ने पाया जीवन स्पंदन, हरा हो…

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घोंसला

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* तिनका-तिनका चुन-चुन पँछी ने, बनाया एक नीड़ सजाया उसे, कपड़ों की चिन्दी उलझे धागों और टूटी-फूटी चीजों से, ताकि आने वाले नन्हें चूजों को जरा-सी…

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धरती माँ

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… धरती माँ के, अखण्ड रूप को खण्ड-खण्ड करते हो क्यों ? कहते हो माता धरती को, माता के टुकड़े करते…

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