जब से प्रेम किया

सारिका त्रिपाठीलखनऊ(उत्तरप्रदेश)**************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से सारिका त्रिपाठी,लखनऊ/टैग-काव्य संग्रह हम और तुम से/कविता /शीर्षक- /सब ओल्डooooमैंने तुमसे,जब से प्रेम किया है-तुम्हारे नाम सेनहीं सम्बोधित किया किसी को..!मुझेइस नाम से,केवल तुम्हीं कोपुकारना है..!प्रेम की परिपक्वताशिशु हो जाना है…!मैं बचपना जीती हूँ…इसीलिए…कि..तुम्हारे प्रतिमेरा प्रेम सुरक्षित रहे…हर पल…।तुम्हारे प्रति,मन मेंकभीवासना का कोई भावआने से पहले ही….उसे … Read more

`अस्मत` लूटने की कड़ी सजा दी जाए,वरना…

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………… हम हर दूसरे-तीसरे दिन सोशल मीडिया,अखबार,टी.वी. चैनलों पर बलात्कार पीड़िताओं की भयावह तस्वीरें देखते हैं,कहीं जली हुई,कहीं पर सर काट के अलग फेंक दिया गया तो कहीं पर उनके गुप्तांगों में तरह-तरह की चीजें कांच की बोतलें,लोहे की रॉड डालकर उनकी हत्या कर दी गई है। कहीं उन्हें … Read more

संस्कारों का प्रतिबिम्ब हिंदी

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. हम सब बचपन में शाला जाना शुरू करते हैं और ज्ञान की प्राप्ति करते हैं। शाला में हम कहीं विषय की पढ़ाई करते हैं,जिनमें हिंदी विषय भी एक है,लेकिन दुःख की बात यह है कि आज भी हम हिंदी का इस्तेमाल करने पर शर्म महसूस करते हैं। … Read more

श्री गणेश तत्व और महोत्सव

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* भगवान गणेश का प्राकट्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को हुआ था- “नभस्ये मासि शुक्लायाम् चतुर्थ्याम् मम जन्मनि। दूर्वाभि: नामभिः पूजां तर्पणं विधिवत् चरेत्॥” तब से लेकर आज तक उनका महोत्सव मनाया जा रहा है। भाद्र पद मास का वैदिक नाम नभस्य है। प्राचीन काल में मिट्टी की मूर्ति बनाकर अनेक विधियों … Read more

‘प्रेम’ यानि आत्मा से आत्मा का मिलन

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* संसार में अलग-अलग स्वभाव के अलग-अलग व्यक्ति हैं। सभी में अलग-अलग कुछ विशेष गुण होते हैं,जिसे व्यक्तित्व कहते हैं। कुछ विशेष व्यक्तित्व विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। यही आकर्षण जब एक-दूसरे के विचारों में मेल पाता है। एक-दूसरे के लिए त्याग का भाव अनुभव करता है,एक-दूसरे के लिए … Read more

भारत का ललाट है कश्मीर

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* भारतवर्ष के ललाट पर निवास करने वाला काश्मीर वैसे ही शोभा को प्राप्त करता है, जैसे भगवती-सरस्वती की दोनों भू-लताओं के मध्य केसर की बिंदिया शोभा देती है। संस्कृत का शब्द है कश्मीर जिसका अर्थ है बिन्दी। सरस्वती का स्तोत्र मन्त्र है- “मुखे ते ताम्बूलं नयनयुगले कज्जलकला ललाटे काश्मीरं विलसति गले … Read more

युद्ध लड़े जाते हैं बलिदान और राष्ट्रप्रेम से

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. “या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा,अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी का राज्य भोगेगा।” गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पाँव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। २६ जुलाई १९९९ … Read more

तुम मेरे कासिद हो,फ़रिश्ते हो

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मैं तुम्हें इस तरह से प्रेम नहीं करती, जैसे मैं करती किसी हाड़-माँस के पुतले को। मैं तुम्हें इस तरह भी प्रेम नहीं करती, जिस तरह करती किसी देव को दिव्य गुणों से भरपूर। मैं तुम्हें प्रेम करती हूँ ऐसे- जैसे किसी बादल को,पेड़ को,नदी को झरने को,पहाड़ को या फिर … Read more

अनजान प्रियतम

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* सुनो चन्द्र वट, अनजान प्रियतम! मैं रहूँ ना रहूँ… मैं दिखूँ ना दिखूँ, अपनी साँसों में..यादों में..बातों में…, इन हवाओं में..फिज़ाओं में…घटाओं में… बारिश की बूंदों में…, पत्तियों की सरसराहट में… सुबह की पहली किरण में.., दोपहर की अलसाई धूप में… सुरम‍ई-सी शाम की पुरवाई में…, चाँद की चाँदनी रात में… … Read more

…तो समझ लेना

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* जब मेरी नज़्में खामोश हो जाएं, जब पुकारना बंद कर दें तुम्हें तो समझ लेना, सो गई हूँ तनहाइयां ओढ़कर, तुम्हारी परछाइयां ओढ़कर…। जब कभी अचानक ही मन बहुत बेचैन हो जाए, तो समझ लेना… कि चली गई हूँ,अपनी बेचैनियां छोड़ कर…। कभी बात-बात पर जो नयन छलक जाएं, तो समझ … Read more