शरणार्थियों का हाल कोई हमसे पूछे

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. जो कभी शरणार्थी नहीं रहे, वे हैं शरणार्थी होने के दर्द से नितांत छूछे, शरणार्थियों का क्या हाल होता है... कोई हमसे…

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आनंद बोध

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मेरी पीठ पर फैले अँधेरे को, मैं कभी यकायक विस्मय से ज़रा पलट कर देखती हूँ कि, कितनी ही धूप क्षणिकाएं झिलमिल-झिलमिल उतर आयी हों। नव…

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मिलना-रूठना…

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* उसने कहा- अगर देवी के दर्शन हो सकते हैं तो मैं मिलना चाहूँगा। मैंने कहा- मैं तो वापिस जा रही हूँ एक साल बीत गया। मैंने…

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पायल की पीड़ा

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मेरे पाँव की पायल भी, बेबस और मजबूर हो गयी... मुस्कुराने की चाहत थी, मगर उदास हो गयी। तुम्हारे इंतज़ार में यह, इस जहां से बेजार…

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तुम जहाँ हो…

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* जिन अंधेरों से तुम गुजर रहे हो उन्हीं अंधेरों में, मैं अपने उजालों से झुलस रही हूँ। तुम जिन तनहाइयों में बिखर रहे हो उन्हीं तनहाइयों…

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माँ मिली कंकाल में

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… कितनी हलचल होती होगी, जब अंतस का समुन्द्र उछलता होगाl किनारों से चोट खाकर, गंगा बनकर बहती होगीl आँसू आँखों में आये…

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तुम्हें पाने की आस

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* तुम हो मेरा वो क्षितिज, जो दूर होकर भी मुझसे कहता...मेरा है। तुम मानो ठहरे हो, इस उम्मीद में कि यूँ ही रोज चलते-चलते, मैं पहुँच…

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मुझे तुम याद आते हो

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* यूँ ही बिन मौसम की बरसातें मेरी छत पर टप-टप करती बूंदें जहन में जाने कैसी हुलस-सी, जब भर जाती हैं मुझे तुम याद आते हो...।…

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सोचो ज़रा..

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… सोचो ज़रा... अगर हम पेड़ होते, जग को ठंडी छांह देते फल,पत्ते,लकड़ी भी, कितने उपयोगी होते...l नन्हीं चिरैया अगर होते, मीठी…

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तेरा जाना

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* था यकीं तुमको कि हम तुमको भूल जाएँगे, हमको ये उम्मीद थी कि हम तुमको याद आएँगे...। सिलसिला कुछ यूँ हुआ कि बसर ज़िंदगी होती रही,…

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