उपदेश

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* देने वाले देने को उपदेश, बहुत दे जाते हैं… पर क्या ऐसा होता है वो, उस पर चल पाते हैं। देते हैं उपदेश धर्म का, खिल्ली वही उड़ाते हैं… सदा सत्य पर चलना सीखो, ये हमको समझाते हैं। प्रवचनों की आड़ लिए, धर्मोपदेश देने वाले… मुँह में रखते नाम … Read more

बिटिया की मुस्कान

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* गगन मनाता खुशी धरा भी तो मुस्कायी है, घर भर में उल्लास हुआ है खुशियां छाई है। ले कांसी का थाल बजाया छत पर माई ने, धन्य-धन्य है भाग्य हमारे बिटिया आयी है। प्यारा-सा मुख छोटी आँखें लाल गुलाबी होंठ, उन होंठों पर प्यारी-सी मुस्कान सजायी है। इतनी खुशी … Read more

ऐसा मित्र सबको मिले

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** अकल का है वह पक्का,करे है बहुत काम, दोस्त वह अच्छा सबसे,अशोक उसका नाम। खूब डटकर काम करे,दिन हो या हो रात, मेहनत से डरे नहीं,डर को मारे लात। है तो घुमंतु स्वभाव का,करे है खूब मौज, जाता है जब गांव में,चले शान से फौज। घूम-फिर कर गांव में,देखें अपने खेत, … Read more

ईश्वर के रूप

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** ईश्वर वह है किसका वर्णन करना आसान नहीं, हर वस्तु में है ईश्वर सच में उसका निशान नहीं। जो भरता है संसार का पेट भूखे रहकर खेत में, वह भी तो भगवान का रूप है,एक किसान नहीं॥ हर तृण हर पात के सचेत मन में एक ईश्वर है, हर जीव-जंतु हर … Read more

शिक्षा का महत्व

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** शिक्षा कर्तव्य उन्नति की दिखाती दिशा, शिक्षा के ज्ञान से मिटे अज्ञान की निशा। शिक्षा जागरूकता का दूसरा नाम कहूं, अंधविश्वास जिसके कदमों तले पिसा॥ शिक्षा मनुष्य को और बनाती है कर्मठ, शिक्षा जिससे नहीं पनपती है गंदी हठ। शिक्षा एक सूरज है काटता अंधकार को, जीवन संभलता जिससे ये पुनीत … Read more

पुरुष और पुरुषत्व

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* जहां नारियां पूजी जाती, आज वहां कोहराम है क्यों ? कभी कलंकित हो ना नारी, लगता नहीं विराम है कर्मों ? बन बैठा है पुरुष दु:शासन, कृष्ण कहां पर चला गया ? बीच सड़क पर जलती नारी, ‘पुरुषत्व’ पुरुष का कहां गया। अपनी रक्षा खुद करने, नारी को स्वयं … Read more

समाज को जगाओ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* समाज को जगाना है कुरीतियां भगाओ, दहेज के नाम पर यूँ बलि न चढ़ाओ। मारते हो कोख में ही अपनी बेटियों को, भ्रूण हत्या करके तुम पाप न कमाओ। संस्कार दो औलादों को कोई अच्छा काम करे, बुरी आदतों में पड़ कर माँ-बाप को न बदनाम करें। नयी चेतना … Read more

क्यों बदल जाता है आदमी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* ऐ नर ये तेरी हिमाकत है, तू जो चाहे सो करता है डर नहीं है अपनी करनी का, बेमौत तभी तो मरता है। तू इतनी जल्दी बदल गया, नहीं बात समझ में ये आयी धन-दौलत,बीबी के चक्कर में, मानवता‌ सभी बेच खायी। अपनी उस माँ को भूल गया, जिस … Read more

जल ही जीवन

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** जल है तो ही कल है, जल से जीवन उज्जवल है। जल से जीवन का अस्तित्व, जल से ही संसार सकल है॥ जल से ही सब जीवन है, जल से ही नव सृजन है। जल से ही खिले सब यहां, नव प्रगति के उपवन हैं॥ अब और नहीं धरा पर पय, … Read more

उत्थान

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* करना हो उत्थान अगर जो, सत्पथ पर चलना होगा हाथ बुराई का पकड़ोगे, निश्चित वही पतन होगा। करना निज उत्थान तुम्हें तो, स्वाध्यायी हो मनन करो शुद्ध करो अपने अंतर को, दुर्भावों का हनन करो। शिक्षा लो उत्थान पतन की, अपने वेद-पुराणों से शिक्षा लो साहित्य जगत में, हुए … Read more