सर्वदा पूज्य है ‘औरत’
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************************** कभी था औरत होने का अर्थ-दबी हुई रहना,मार खानागालियां सुनना,जिंदगी का जहरहँस कर के पीना।कभी था औरत होने का अर्थ-गधे की तरह काम करना,कभी नहीं आराम…