उम्र का दौर

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** गुजरते देखा आज उम्र को,जब पड़ी स्वयं पर नजर। उम्र खुद को खुद से जुदा कर,चेहरा-चेहरे से बिछुड़ गया किस कदर। बढ़ती उम्र जीवन के साथ…

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प्रभु नटखट

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:३१, वर्ण प्रति चरण(८८८७) १६,१५ पर यति-४ चरण सम तुकांत,प्रति चरण ३० वर्ण लघु और अंतिम वर्ण गुरु) चल पथ पनघटनिरखत जल घटगिरधर नटखटपटकत घट है। भय…

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दिखलाते हैं रास्ता

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************** गुरु बिन ज्ञान नह़ीं मिले,बतलाते हैं सार।डगमग होती नाव को,गुरु ले जाएँ पार॥ दिखलाते हैं रास्ता,देते शुद्ध विचार।गुरु के चलते हम सदा,पाते हैं आधार॥ नाम राम का…

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प्रकाश-पुंज ‘गुरु’

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)****************************************************************** 'गुरु',जीवन कोजो उत्कृष्ट बनाता है।मिट्टी को,जो छू कर मूर्तिमान कर जाता है। बाँध क्षितिज रेखाओं में,नये आयाम बनाता है।जीवन को,जो उत्कृष्ट बनाता है।ज्ञान को,जो विज्ञान तक…

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होली

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प-८,८, ८,७ वर्ण, संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है।कुल ३१ वर्ण-१६,१५, पर यति हो,( , )पदांत गुरु(२) अनिवार्य है,चार पद सम तुकांत हो,चार पदों का एक…

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जल है तो हम हैं

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*********************************************************************** जल ही जीवन का आधारजल से जीव और संसार,जल से बाग-बगीचे उपवन,जल सृष्टि का अनमोल रतन। जल से ही छाई हरियालीप्रकृति की है देन निराली,जल से ही…

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आगे बढ़ता चल

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** राही आगे बढ़ता चल,ना हो परेशान,ना हो हताश,मेहनत संग आगे बढ़ता चल। राही आगे बढ़ता चल…निराशा दूर कर आस संजोए,विश्वास संग आगे बढ़ता चल। राही आगे…

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होते पिता महान

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************** दूर करें हर कष्ट से,होते पिता महान।जीवन जीने की कला,का देते हैं ज्ञानll सुख-दुख को साझा करें,बेटी से हर बार।बिना बेटियों के नहीं,इस जीवन का सारll बेटी…

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हो रही भोर

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*********************************************************************** होने को है भोर,धीरे-धीरे तिमिर जा रहापकड़ रात की डोर।अंगड़ाई लेती-सी,धरा उठी है जागदिनकर भी गतिमान हुए,पहन के पीली पाग।लदपद अमराई में,कोयल कूक रही हैशीतल मंद पवन,इठलाती…

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हक़ीक़त से मिल

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** ख़्वाब से तू निकल और हक़ीक़त से मिल,फ़लसफ़ा जिंदगी का समझ आयेगा।जो सहर अब,वो बन शाम,जायेगी ढल,वक़्त पर न जगा गर,तो पछतायेगा। ये सितारे…

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