कुल पृष्ठ दर्शन : 281

You are currently viewing प्रकाश-पुंज ‘गुरु’

प्रकाश-पुंज ‘गुरु’

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
******************************************************************

‘गुरु’,
जीवन को
जो उत्कृष्ट बनाता है।
मिट्टी को,
जो छू कर मूर्तिमान कर जाता है।

बाँध क्षितिज रेखाओं में,
नये आयाम बनाता है।
जीवन को,
जो उत्कृष्ट बनाता है।
ज्ञान को,
जो विज्ञान तक ले जाता है।

विद्या के दीप से,
ज्ञान की जोत जलाता है।
अंधविश्वास के,
समंदर को चीर
नवीन तर्क के,
साहिल तक ले जाता है।

मानवता की पहचान से,
जो परम ब्रह्म तक ले जाता है।
सत्य-असत्य,
साकार को आकार कर जाता है।

जीवन-मरण,
भेद-अभेद के भेद बताता है।
वह प्रकाश-पुंज,
ईश्वर के बाद गुरु कहलाता है॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैl ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैl आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैl पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंl सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैl आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंl समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

Leave a Reply