अब हर लो सारे पापों को

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* यह कैसा कोरोना आया,ले जा रहा इक साथ में,करता है भयभीत सभी को,कुछ न रह जाता हाथ में। मिलना अभी गुनाह हो गया,हाथ मिलाया नहीं गया,कैसा ये मौसम आया है,अब अपना कैद हो गया। अंतिम इच्छा नहीं पूछते,चाहे मिलने की ही हो,दिल पर पत्थर रख लेते हैं,चाहे चाह इक रही हो। यहाँ … Read more

जल है शाश्वत जीवन

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जल से है प्रकृति में यौवन,जल से ही प्यारे सुंदर वनजल के बिना न संभव जीवन,जल जीवन है शाश्वत जीवन। पानी का कोई रंग ना रूप,हर आकार में ढल जाता है।प्यास बुझाता है तन-मन की,द्रव्य है,सबमें घुल जाता है।है पृथ्वी का अनमोल रतन,जल जीवन है शाश्वत … Read more

जिंदगी के रंग

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)******************************************** कोई रंग भरने,जीवन में तेरेबाहर से नहीं आएगा।तेरे जीवन में रंग,तो…तेरे ही भरने से आएगा। किस सोच में…हो!कोई बांध के,रंगों को सारेइंद्रधनुष…!तेरे हाथ में थमा जाएगा।जिंदगी को तेरी,रंगों से रंगीनवह कर जाएगा।कोई रंग भरने,जीवन में तेरेबाहर से नहीं आएगा…। हकीकत के,उन बदरंग दागों से लड़तू अपनी…हिम्मत से,जिंदगी में रंग नए…जब तक … Read more

होली निहारूँ बाट

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… गीता छंद विधान:२६ मात्रा(२२१२ २२१२ २२१२ २२१)१४,१२ पर यति,२ पद समतुकांत) होली मचे फागुन रमें,फसलें रहे आबाद।पंछी पिया कलरव करे,उड़ते फिरे आजाद। मैं तो हुई बेचैन हूँ,मिलने तुम्हें पिव आज।आओ प्रिये फागुन चला,अब तो सँवारो काज। फसलें पकी हैं झूमती,मिल के करें खलिहान।सखियाँ सभी है खेलती,बिगड़े हमारी … Read more

होली के रंग

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… रंगों से सब रंगे हुए थे,पर मन से हम रंग ना पाये।उलझनें लेती अंगड़ाई,बात ये मन की कह न पाये। शिकवे शिकायतें करते हैं,पल-पल में बेचैन हुए थे।बेचैनी और जलन बढ़ी तो मन से हम न रँगे हुए थे।टेसू दहके लाल रंग,जंगल में ठंडी आग लगाये,रंगों … Read more

रवायत

श्रीमती पूर्णिमा शर्मा पाठकअजमेर (राजस्थान) ********************************************** किसी को दर्द से तेरे,फरक कोई नहीं पड़ता। तू जीता है तो जीता क्यों,तू मरता है तो डरता क्यों! किसी को मारने से तेरे,फरक कोई नहीं पड़ता। जो घर,तेरा उजड़े तो,दुःख में कोई नहीं आता। घर जब तू बसाए तो,न्योता किसे नहीं भाता। ये दुनिया की रवायत हैं,इसे तो … Read more

शिव:शिवरात्रि

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** महाशिवरात्रि विशेष………. जय महेश शिव शंकर भोले।डम ढम डम ढम डमरू बोले॥कैलासी काशी के वासी।सत्य सनेही शिव अविनाशी॥ भक्त सन्त शिवरात्रि जगाए।द्वेष दोष भव दूर भगाए॥मर्त्य मनोरथ मनुज जागरण।सृष्टि हेतु रचि नव्यआभरण॥ गज गणेश गौरी गो नन्दी।कार्तिकेय केकी कालिन्दी॥चंद्र गंग सिर जटा विराजे।भूत भभूत भंग अहि साजे॥ सिंधुमथन देवासुर हित चित।पिये हलाहल सृष्टा … Read more

नारी सशक्त हो उठेगी,बस जरूरत बदलाव और पहल की

निक्की शर्मा `रश्मि`मुम्बई (महाराष्ट्र)********************************************* महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… प्रकृति का बनाया एक सुकोमल शीतल स्पर्श शक्ति के अपार भंडार के रूप में एक सुंदर रचना नारी है। नारी आज समाज के हर क्षेत्र में काम कर रही है, आज वह किसी का मोहताज नहीं है। फिर भी घर- समाज में उन्हें समझौता करना ही पड़ता … Read more

बस सम्मान चाहती है…

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)******************************************** महिलाएं तो बस सम्मान चाहती हैं,बदले में हर रिश्ते से,फर्ज निभाती हुई भी जब अपमान ही पाती हैमहिलाएं तो बस सम्मान चाहती हैं। शक्ति स्तंभ होते हुए भी,समर्पित कर देती हैं खुद कोवह प्रेम में कहां…कोई व्यापार चाहती हैं।महिलाएं तो बस सम्मान चाहती हैं… बेटियां पराई है,बहू भी पराई हैवह अपने … Read more

बौराया अम्बुवा…

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* सरसों खिली बाग में पीत हो गये।बसंती रूत में गुल मीत हो गये॥ बौराया अम्बुवा पलाश खिल रहे,टेसू के रंगों से रंग मिल रहे।फागुनी राग में नवगीत हो गये,सरसों खिली…॥ रूत बसंत आज उल्लास भर रही,लताएं फूल से श्रृंगार कर रही।भंवरों की गुंजन के गीत हो गये,सरसों खिली…॥ निर्झर निनाद से अब … Read more