सूना-सूना रात का आँचल

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)**************************************************************** सूना-सूना रात का आँचलनिखरी यादों के बिखरे पल,प्रीति के सागर में बह जामेरी आँखों के गंगाजल। उदास चेहरा लिए खड़ा हैनीरव-सा ये सघन अंधेरा,क्या अंजलि में बांध लिया हैतूने ये दारुण दु:ख मेरा ?नयनों के सपने न मचल,सूना-सूना रात का आँचल। मैं अंधियारे सूरज की ज्योतिमिली न मंजिल रूह भटकती,मूक मेरे जीवन … Read more

एकता का रूप है हिंदी

उषा शर्मा ‘मन’जयपुर (राजस्थान)**************************************************** वंदे मातरम की शान है हिंदी,देश की माला का स्वरूप,भारत माँ का मान है हिंदी। अन्य भाषाओं से बढ़कर है हिंदी,भारत भारतीयों के साथ,संविधान का गौरव है हिंदी। हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी,कड़ी से कड़ी जोड़ने वाली,देश को एक मुठ्ठी में करने वाली है हिंदी। भारत की आत्मा,चेतना है हिंदी,एकता … Read more

दुआ

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** इल्तिज़ा इतनी-सी मेरी है ख़ुदा,मैं करूँ,वो ही दुआ,जो है दुआ। माँगना ख़ुद के लिये तो,भीख है,बेक़स का हक़ माँगूं अगर,तो है दुआ। माँगूं तख़्तो-ताज़ गर,वो आज़ है,ख़ैर सबकी माँगूं गर,वो है दुआ। ना इक्तिज़ा,ज़र ओ ज़मीं मुझको मिले,मुफ़लिस को ख़ुशहाली अता कर,है दुआ। दैरो-हरम तो,बात मज़हब की हुई,इंसानियत ज़िंदा … Read more

तिरंगा चाह कफन

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प:३२ वर्ण (८८८८) प्रतिचरण चार चरण समतुकांत,आंतरिक समान्तता होचरणांत नगण १११ भारत माता वंदनमाटी सादर चंदन,मानस अभिनंदनचरणों में है नमन। जन-गण का गायनहर दिन हो सावन,कण-कण है पावनरहे आजाद वतन। सुन्दर सुन्दर वनपौरुषवान बदन,ईमानी है जन-जनरहे आबाद चमन। देश की रक्षा का मनकरें आतंक हनन,समर्पित दैही धनतिरंगा चाह कफन। परिचय : बाबूलाल शर्मा … Read more

शिव प्रिय प्रथम पूज्य हे प्रभु जी

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष….. प्रथम नमन हे गणपति देवा,तुम सबसे प्यारे।सकल सँवारो काज गजानन,हे देव हमारे।शिव प्रिय प्रथम पूज्य हे प्रभुजी,गौरी के जाए।एकदन्त करुणा के सागर,गणपति कहलाए। मोदक मिसरी,पान पताशा,से भोग लगाऊँ।विघ्न हरण हो सबसे पहले,मैं तुम्हें मनाऊँ।तन के कष्ट सभी प्रभु हरना,मेरी मन पीरा।सृजन करूँ नित मैं छंदों का,बिन रहे अधीरा। … Read more

गणपति आओ मोरे अँगना

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष…..   हे गणनायक,प्रथम पूज्य,गौरी-शंकर के लाला,तुन बिन सफल ना कारज मोरे,कृपा करो सूंडालागणपति आओ, पधारो मोरे आँगन में,गणपति आओ,बिराजो मोरे आँगन में। माँ गौरा ने,बाल्यकाल में,द्वार पे तुम्हें बिठाया,प्रवेश निषिद्ध बिना अनुमति के’तुमको ये समझायारोक द्वार पर शंकर जी को,माँ का वचन निभाया,कर्तव्य तुम्हारा,भूल … Read more

…और दम्भ दह गये

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* घाव ढाल बन रहेस्वप्न साज बह गये।पीत वर्ण पात होचूमते विरह गयेll काल के कपाल परबैठ गीत रच रहा,प्राण के अकाल कविसुकाल को पच रहा,सुन विनाश गान खगरोम की तरह गये।पीत वर्ण…ll फूल शूल से लगेमीत भयभीत छंद,रुक गये विकास नवछा रहा प्राण द्वंद,अश्रु बाढ़ चढ़ रहीडूब बहु ग्राह गये।पीत…ll चाह घनश्याम मनरात … Read more

शुभ दिन आया

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************** शुभ दिन आया मंगल गाओ,राम विराज रहे,सजे आरती दीप जलाओ जय श्री राम कहें। बलिदानों व संघर्षों का ये शुभ परिणाम हुआ,वर्षों से चलते द्वंद्वों का आखिर विराम हुआlरत्न सिंहासन बैठेंगें राम सीता सँग रहे,आया शुभ दिन… पलक पांवड़े आज बिछाओ जगमग ज्योत जले,भावों के मोतियों को ले अयोध्या धाम चलेlरामलला का … Read more

अना नहीं ये

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** दुनिया के बाज़ार में,व्यापार है बहुत,फ़नकार हैं बहुत,तो ख़रीदार भी बहुतउम्मीद से ज्यादा मिली कीमत जिन्हें,खुश थेख़ुद्दार थे हम,इसलिये,बस,हम नहीं बिके। कीमत वफ़ा की चाहें,आशिक सिरफ़िरे बहुत,ख़ुद ना तसद्दुक हो,रखे उम्मीद,पर,बहुतकसमें खा,कर वादे,शर्तें ये जहाँ लगेये है तिज़ारत,ना मुहब्बत,हम नहीं बिके। बेक़स के हक़ का मामला,गवाह थे बहुत,हम थे … Read more

वर्षा नीर

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प:३२ वर्ण(८८८८) प्रतिचरण, चार चरण समतुकांत ८,८,८,८ पर यति हो, एवं चारों यति समतुकांत अनिवार्य, चरणांत गुरु लघु २१(गाल) माने जाने भू की पीर,साथी सारे हैं जो धीर,गायें पौधे कागा कीर,रक्षे भैया वर्षा नीर। ले कुदाली आओ बीर,चेतो पानी रक्षा गीर,वर्षा पानी औ समीर,गो बचा लें वर्षा नीर। ध्यानी मानी हैं बे … Read more