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…और दम्भ दह गये

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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घाव ढाल बन रहे
स्वप्न साज बह गये।
पीत वर्ण पात हो
चूमते विरह गयेll

काल के कपाल पर
बैठ गीत रच रहा,
प्राण के अकाल कवि
सुकाल को पच रहा,
सुन विनाश गान खग
रोम की तरह गये।
पीत वर्ण…ll

फूल शूल से लगे
मीत भयभीत छंद,
रुक गये विकास नव
छा रहा प्राण द्वंद,
अश्रु बाढ़ चढ़ रही
डूब बहु ग्राह गये।
पीत…ll

चाह घनश्याम मन
रात श्याम आ गई,
नींद एक स्वप्न था
खैर,नींद भा गई,
श्वाँस छोड़ते बदन
वात से जिबह हुये।
पीत…ll

जीवनी विवाद मय
जन्म मर्त्य कामना,
देख रहे भीत बन
काल चाल सामना,
शेर से दहाड़ हम
छोड़ कर जिरह गये।
पीत…ll

देश-देश की खबर
काग चील हँस रहे,
मौन कोकिला हुई
काल ब्याल डस रह,
लाश लापता हुई
मेघ शोक कह गये।
पीत…ll

शव सचित्र घूमते
मौन होड़ पंथ पर,
गड़ रही निगाह अब
भारतीय ग्रंथ पर,
शोध के बबूल सब
सिंधु की सतह गये।
पीत…ll

शून्य पंथ ताकते
रीत प्रीत रो पड़ी,
मानवीय भावना
संग रोग हथकड़ी,
दूरियाँ सहेज ली
धूप ले सुबह गये।
पीत…ll

खेत सब पके-थके
ले किसान की दवा,
तीर विष बुझे लिए
मौन साधती हवा,
होंठ सूख वृक्ष के
अश्रु मीत बह गये।
पीत…ll

ताण्डवी मशान से
मजार है मिल रही,
कब्र की कतार में
मौत वस्त्र सिल रही,
कफन की दुकान के
गुबार हम सह गये।
पीत…ll

काट वृक्ष भूमि तन
स्वास्थ्य मूल खो रहे,
सिंधु नीर सर नदी
जगत गंद ढो रहे,
काल की मजार ले
फैसले सुलह नये।
पीत…ll

देव स्वर्ग में बसे
काल दूत डोलते,
रक्त बीज बो रहे
गरल गंध घोलते,
नव विषाणु फौज के
खिल रहे कलह नये।
पीत…ll

विहंग निज पर कुतर
प्रेम पत्र ला रहे,
पेड़ फूल डालियाँ
गिरि शिखर हिला रहे,
सिंधु आँच दे रहे
और दम्भ दह गये।
पीत…ll

कामिनी सजा रही
गात मौत मीत के,
ढूँढ रही मौत शव
गीत संग रीत के,
प्रीत की उमंग में
छंद दंग रह गये।
पीत…ll

स्वदेश में प्रवास से
जागरूक भारती,
शूल बन फूल संग
यत्न कर्म पालती,
हार गई मौत तब
देख हम फतह हुये।
पीत…ll

चल दिए छंद छोड़
पीढ़ियाँ सहेज कर,
सह लिए घाव ताप
सच से परहेज कर,
आज नींद-सी खुली
लोक पुण्य ग्रह गये।
पीत…ll

बीत गये रोग सब
सोच प्राण हँस रहा,
भव के अकाल भूल
मोह मान फँस रहा,
जग रहा अहम भाव
वयम् अन्त गृह गये।
पीत…ll

ताक रहे विश्व जन
विहँस रही भारती,
विश्व जीत देश मम
देह मान आरती,
सर्व लोक मान्यतम्
विश्व गुरू कह गये।
पीत…वर्ण…पात..हो
चूमते…विरह…गयेll

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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