किसी ने नहीं समझा पाप…

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* इन्द्र देवता हैं ?नहीं!मर गया थाउनका उसी दिन देवत्व,जिस दिनअवैध रूप से किया था उन्होंनेअहिल्या के घर में प्रवेश,किया था उनके साथ दुराचार।उनका वह कर्म,छल,कपट…

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अरमानों के छंद

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************** हिंदी दिवस विशेष….. अनुबंधों की अलस दोपहर अरमानों के छंद लिखूँ,बागों के भंवरे गुंजन करते फूलों के बंद लिखूँ। निर्झर-सा झरझर मन बहता थामे बंधन उज्जवल-सा,झरना भी…

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मुद्दे उठाए जाते हैं

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)********************************************************* मेरे देश में,मुद्दे उठाए जाते हैं।जिंदगी के असल सच से,लोगों के ध्यान हटाए जाते हैं। घटना को,घटना होने के बाददेकर दूसरा ही रुख।असल घटनाओं पर,पर्दे गिराए…

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जलरक्षण

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:३० वर्ण (८८८६) प्रतिचरण,चार चरण समतुकांत चरणांत की कोई शर्त नहीं।) मनुज भूल नादानी,आज समय की मानी,बचत वर्षा का पानीसोचो कुण्ड बने। नहीं बहा ये अमृतबचा नीर…

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‘कोरोना’ काल और शिक्षक

प्रीति शर्मा `असीम`नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)********************************************************* 'कोरोना' काल में घर में बंद होकर,सबको जिंदगी के अहम सबक याद आए।'कोरोना' काल में घर में बंद होकर,सड़कों पर भटकते मजदूरगरीब होने की सजा पा…

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शिक्षक और शिक्षार्थी

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)**************************************************************** शिक्षक दिवस विशेष……….. गुरु ईश्वर का दूजा नाम,गुरु संपूर्ण ज्ञान की खानसत-असत का देता है ज्ञान,गुरु होता है भानु समान। समानता की वह देता सीख,ज्ञान,न ऊंच-नीच की…

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कदम-कदम

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:३३वर्ण (८८८९) प्रति चरण,चार चरण समतुकांत,चरणांत नगण१११(पुनरावृत्ति),जैसे;कदम-कदम) (टैग-रचना शिल्प:३३वर्ण (८८८९) प्रति चरण,चार चरण समतुकांत,चरणांत नगण१११(पुनरावृत्ति),जैसे;कदम-कदम)लड़ें सीमा पर हम,पातकी जाएगा थम,कारवाँ चले बढ़ेगा,चलना कदम-कदम। पाक पड़ौसी बे-दम,सुधारो उसको…

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मालिक हूँ

मोनिका शर्मामुंबई(महाराष्ट्र)********************************************************** `ऐ बंदे,क्या सोच रहा है ? क्या फिर कोई ख्याल तुझे नोच रहा है ? कहीं पीड़ा तुझे तो नहीं हो रही, कि यह श्वान तेरे इलाके में…

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बदली हवा

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** तक़ाज़ा है उम्र का,अब,रहूँ घर में ही अपने,जवां पीढ़ी ये बोली,हक़ हमारा,हम रहेंगेl नशेमन थे कभी आबाद,इन शाख़ों पे इनके,लगे बूढ़े शज़र से,रुख बदलने,अब…

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परिवर्तन

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प:३२ वर्ण( ८८८८) प्रतिचरण चार चरण समतुकांत,आंतरिक समान्तता अपेक्षित,चरणांत लघु-लघु ११ हे श्याम वर्ण के घननर्मद सा हो ये मन,पत्थर शिव जीवनवसुधा पर सावन। सागर जैसा हो…

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