सुनूंगा जरूर

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** तुम मुझे आवाज दोगे तो, मैं अनसुनी नहीं करुंगा सुनूंगा जरूर। तुम आओगे मेरे घर, तो मैं नहीं कहलवाऊँगा बच्चे से कि घर पर नहीं हूँ मैं, बल्कि मिलूंगा तुमसे जरूर। तुम लगाओगे मोबाइल मुझे, तो बंद नहीं करुंगा मोबाइल बात करुंगा जरुर। यह भी नहीं होने दूंगा कि’ मैं … Read more

ज़िन्दगी का अर्थ

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** ज़िन्दगी का अर्थ नहीं, समझने में हम जबसे असमर्थ हैं, जितना भी कमाने में लगे रहो, सब व्यर्थ है क्योंकि, कमाने के चक्कर में खो गये हैं हमारे संगी-साथी,पड़ोसी,हितैषी, हमने कमाने की अंधी दौड़ में इन्हीं को रौंदा है, इसीलिये सूना घरोंदा है, आओ स्वार्थ-दहलीज़ को पार करें, हमारे आसपास … Read more

ज़िन्दगी का मतलब

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** ज़िन्दगी का मतलब, सिर्फ मतलब के लिये ही न हो। ज़िन्दगी का मतलब, वृक्ष की तरह हो जड़,पत्ती,शाखा, फूल और फल… सभी कुछ,सभी के लिये। ज़िन्दगी का मतलब, दीपक की तेल-बाती की तरह हो खुद ख़त्म होता चले… पर,सबको रोशनी देता रहे। ज़िन्दगी का मतलब, सिर्फ जन्म लेना और मर … Read more

वंदे मातरम

अमल श्रीवास्तव  बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम प्यारे वतन। मेरा भारत आन है मेरी, इसको बारम्बार नमन॥ सदियों पहले देश हमारा, जगत गुरु कहलाता था। ज्ञान,भक्ति और कर्मयोग का, सारे जग का दाता था॥ पर कुछ गद्दारों के कारण, अपना मुल्क गुलाम हुआ। कई बार इनके ही कारण, भीषण कत्ले आम हुआ॥ आओ … Read more

मजबूर

हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* कुदरत को सभी फैसले मंजूर होते हैं। माँ-बाप भला बच्चों से कब दूर होते हैं। फुर्सत नहीं रही हमें उनकी फिकर करें- वो तो हमारी फिक्र में मजबूर होते हैं।

पक रही है कविता

श्रीमती संतोष श्रीवास्तव भोपाल (मध्यप्रदेश)  *********************************************************************** कविता जिंदगी की, अनिवार्य जरूरत हैl वह सुनती है, आत्मा की आवाज देखती है…l निर्दयी,निर्मम आतंक से एक ही पल में मिटते, पृथ्वी को दी हर बन्दे के रूप में ईश्वर की सबसे बेशकीमती सौगात कोl बंदूकों की होड़ बमों का जखीरा, आत्मघाती धमाकों से ढेर हुई इंसानियत कोl … Read more

अथ स्वरुचिभोज प्लेट व्यथा

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** सलाद, दही बड़े, रसगुल्ले, जलेबी, पकौड़े, रायता, मटर पनीर, दाल, चावल, रोटी, पूरी के बाद… ज्यों ही मैंने प्लेट में पापड़ रखा, प्लेट से रहा न गया और बोली- अब बस भी करो, थोड़ा सुस्ता लो पहले इतना तो खा लो। घर में तो, एक गिलास पानी के लिये पत्नी … Read more

कैसे सहन करें

अमल श्रीवास्तव  बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* मानवता की पीड़ा का,आक्रोश किस तरह सहन करें, अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें| लोकतन्त्र के नाम जहाँ पर,रक्त बहाया जाता हो, जहाँ धर्म के आलय में,गोमांस पकाया जाता हो, संविधान के पन्ने जब,ईधन की भांति सुलगते हो, अमृतरस के बदले में,मदिरा के जाम छलकाते हो| ऐसे में … Read more

काश ऐसा हो!

अमल श्रीवास्तव  बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* काश कालिमा मिट जाये,रवि-सा उजियारा छा जाये, भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएl यों तो यह अपना देश कभी,धार्मिक तत्वों का वेत्ता था, दुष्कृत्यों को षडयंत्रों को,सत्कृत्यों से धो देता थाl पर इसमें पाप प्रविष्ट हुआ,वह ध्यान,धर्म, धीरज न रहा,दिन-रात वही,धन-धाम वही,पर सत्य,शील,संयम न रहाl इसलिए जलाओ ज्ञान दीप,अज्ञान … Read more

जीवन जीने की कला है `आध्यात्म `

अमल श्रीवास्तव  बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* एक अंध विद्यालय में एक दिन शिक्षक ने ‘हाथी पृथ्वी पर सबसे विशाल जानवर है’ यह बताया। यह सुनकर उन अंधे विद्यार्थियों ने अपने शिक्षक से हाथी को जानने की जिज्ञासा प्रकट की। संयोगवश एक महावत अपने हाथी के साथ उसी समय विद्यालय के सामने से जा रहा था। शिक्षक के … Read more