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कैसे सहन करें

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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मानवता की पीड़ा का,आक्रोश किस तरह सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें|

लोकतन्त्र के नाम जहाँ पर,रक्त बहाया जाता हो,
जहाँ धर्म के आलय में,गोमांस पकाया जाता हो,

संविधान के पन्ने जब,ईधन की भांति सुलगते हो,
अमृतरस के बदले में,मदिरा के जाम छलकाते हो|

ऐसे में तुम्हीं बताओ तो,क्या-क्या,क्यों,कैसे सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें||

नैतिकता के नाम जहाँ पर,स्वयं नीति ही रोती हो,
सावन जलता,जेठ ठिठुरता,फागुन वर्षा होती हो,

शिक्षित होकर बकवादी,रक्षक होकर व्यभिचारी हो,
व्यवसायी हों दुर्व्यसनी,हर आँख में लाचारी हो|

ऐसे में तुम्हीं बताओ तो,क्या-क्या,क्यों,कैसे सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें||

अपने घर में अपनों को अजनबी बनाया जाता हो,
बालाओं को बलपूर्वक विषपान कराया जाता हो,

जहां स्वार्थ के बंदीगृह में स्वयं देश ही बंदी हो,
मंदिर,मस्जिद, गिरजाघर,गुरुद्वारों में पाखंडी हो|

ऐसे में तुम्हीं बताओ तो,क्या-क्या,क्यों,कैसे सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें||

जहा पूज्य विद्वानों के मस्तक कटवाए जाते हों,
जहाँ सज्जनों पर बलात गोले बरसाए जाते हों,

दिव्य,विज्ञ,त्यागी,बलिदानी,पग में कुचले जाते हो,
पंडित,ज्ञानी,और तपस्वी,पीड़ित देखे जाते हों|

ऐसे में तुम्हीं बताओ तो,क्या-क्या,क्यों,कैसे सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें||

विकृतियों का नग्न-नृत्य दिल को दहलाने वाला हो,
दुष्प्रवृत्तियों के छदमों ने छल-प्रपंच रच डाला हो,

सत्य छुपा हो तहखाने में,सब-कुछ गड़बड़झाला हो,
मुँह से सुधा-सुगंध बहाते,अंदर विषधर काला हो|

ऐसे में तुम्हीं बताओ तो,क्या-क्या,क्यों,कैसे सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें||

नए-नए कानून बनाकर निर्दोषों को कैद किया,
जाति-वाद का जहर पिलाकर,प्रतिभावों का दमन किया,

असली पीड़ित,वंचित,शोषित,के सपनों को खाक किया,
मजहब का उन्माद दिखाकर आधा मुल्क विषाक्त किया|

ऐसे में तुम्हीं बताओ तो,क्या-क्या,क्यों,कैसे सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें||

जहां परीक्षा से पहले परिणाम सुरक्षित हो जाए,
शिष्य-गुरु के रिश्तों में,जब विषय-वासना घुल जाये,

न्याय व्यवस्था स्वयं सड़क पर इंकलाब में लग जाये,
परिवारों की बुनियादें जब,छुई-मुई-सी ढह जाये|

ऐसे में तुम्हीं बताओ तो,क्या-क्या,क्यों,कैसे सहन करें,
अपने हाथों से अपने पौरुष का कब तक,क्षरण करें||

परिचय-रायपुर में  बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत अमल श्रीवास्तव का वास्तविक नाम शिवशरण श्रीवास्तव हैl`अमल` इनका उपनाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैl अमल जी का जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैl आपने गणित विषय से बी.एस-सी.की करके बैंक में नौकरी शुरू कीl आपने तीन विषय(हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. भी किया हैl आपने रामायण विशारद की भी प्राप्त की है,तो पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैl भारतीय संगीत में आपकी रूचि है,इसलिए संगीत में कनिष्ठ डिप्लोमा तथा ज्योतिष में भी डिप्लोमा प्राप्त किया हैl वर्तमान में एम्.बी.ए. व पी-एचडी. जारी हैl शतरंज के उत्कृष्ट खिलाड़ी,वक्ता और कवि श्री श्रीवास्तव कवि सम्मलेनों-गोष्ठियो में भाग लेते रहते हैंl मंच संचालन में महारथी अमल जी लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैl देश के नामी पत्र-पत्रिका में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंl रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैl विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े होकर प्रांतीय पदाधिकारी भी हैंl गायत्री परिवार से भी जुड़े होकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैंl महत्वपूर्ण उपलब्धि आपके प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन सहित राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना हैl

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