श्रम का महत्व

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** कुछ ही सालों पहले की है बच्चों यह घटना छोटी, लेकिन इसमें बात छुपी जो सीख हमें देती मोटी। आसमान में ऊँचाई पर झुंड गिद्ध का था उड़ता, ढूँढ रहा था खाने को पर नहीं दिखाई कुछ पड़ता। रहा भटकता कई दिनों तक पा न सका लेकिन भोजन, इसी खोज … Read more

बादल बन जाता…

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** कितना अच्छा यह होता जो मैं भी इक बादल बन जाता, आसमान में कभी कहीं भी घूम घूम रहता इतराता। सागर-सागर पानी लेकर संग हवा के खेला करता, पर्वत-पर्वत दौड़ लगाता आँधी से मैं कभी न डरता। हाथ पकड़ सूरज-किरणों का मैं हँसता-गाता-मुस्काता, कड़क-कड़क कर खूब गरजता अपने में बिजली … Read more

बेटी को खूब पढ़ाएँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** देन हमें ईश्वर की न्यारी बेटी होती कितनी प्यारी, यह तो हर घर के आँगन को- महका देती बन फुलवारी। बेटी ध्यान सभी का रखती यह दुःख में भी हँसती दिखती, बाँट रही है सबको खुशियाँ- कड़वेपन को चुप-चुप चखती। नहीं कमी की करे शिकायत फिर भी पाती कड़ी हिदायत, … Read more

टल जाएगा वक्त यह

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** ‘कोरोना’का वाइरस,फैल सकल संसार। मचा रहा हर देश में,भीषण हाहाकार॥ मानव का अस्तित्व ही,है संकट में आज। सिर पर बैठा हँस रहा,कोरोना का ताज॥ आफत आई चीन से,लिया चैन-सुख छीन। कोरोना के सामने,मनुज लग रहा दीन॥ कोरोना ने छेड़ दी,नए ढंग की जंग। बिना लड़ाई कर रही,जो धरती बदरंग॥ अर्थव्यवस्था … Read more

हिन्दी और उसकी बोलियाँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** १४ सितम्बर १९४९ को हिन्दी को भारतीय गणतंत्र की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। अंग्रेजी को पन्द्रह वर्षों अर्थात् १९६५ तक सह राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। दक्षिण में हिन्दी के विरोध को देखते हुए १९६७ में संविधान में संशोधन किया गया कि जब तक एक … Read more

कुदरत की ओर

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. हरपल ही आपाधापी में भाग रहा है जीवन, इससे तन है चुका-चुका-सा थका-थका रहता मन। दो पल भी अब समय रहा ना करने को मिल बातें, भाग दौड़ में दिवस बीतते चिन्ता में घुल रातें। काम-कमाई के चक्कर में भूल गए अपनों को, नहीं समय … Read more

बच्चों में बढ़ती संस्कारहीनता,रोकना होगा

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। हमारी इसी पीढ़ी पर देश का भविष्य टिका हुआ है। इस भावी पीढ़ी को संस्कारित करके ही अच्छा नागरिक बनाया जा सकता है,लेकिन आज के परिवेश में हम देखें तो माँ-बाप बच्चों को संस्कारित करने में जागरूक नहीं हैं। वर्तमान में संयुक्त परिवारों के … Read more

महिला सशक्तिकरण: प्रतिकार की क्षमता और निर्णय लेने का साहस हो

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’-८ मार्च  विशेष …….. आज महिलाओं ने सशक्त होकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। वह जमीन से लेकर आसमान तक अपने कार्यों और उपलब्धियों के लिए जानी जा रही है। महिलाओं ने अपनी योग्यता से साबित कर दिया है कि,यदि अवसर उपलब्ध हों तो … Read more

सभ्यता और संस्कृति पर आघात महिलाओं के प्रति अपराध

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते,रमन्ते तत्र देवता’ का उदघोष करने वाला हमारा देश आज महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के कारण लज्जित है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में बलात्कार और छेड़छाड़ की बर्बर घटनाएँ आए-दिन घटित हो रही हैं। घर हो या बाहर,महिलाएँ कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। घर और समाज में … Read more

बढ़ती बेरोजगारी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** भारत एक जनसंख्या बहुल देश है। बढ़ती जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध कराना आज विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या नीति और देश के अनुरूप औद्योगिक नीति के अभाव ने बेरोजगारी की समस्या को भयावह बना दिया है। सरकारी क्षेत्र की किसी भी भर्ती की घोषणा होने पर भारी संख्या में … Read more