निर्धारित है
तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान) ************************************************* संसार में, मेरे चाहने न चाहने से, कुछ नहीं होता। मैंने नहीं चाहा, द्रौपदी का चीर हरण हो पर हुआ। क्या मैंने चाहा था, सीता को रावण हर ले जाए ? प्रारब्ध का खेल तो, खेलना ही पड़ेगा मैंने भी खेला। बहुत सी घटनाएं, मेरे न चाहने पर भी, घटित … Read more